कोरोना काल से उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों से निपटने को राज्य सरकार ने खर्चे कम करने का निर्णय लिया है, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने बुधवार देर शाम इसके आदेश जारी किए, वहीं कर्मचारी संगठनों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। कर्मचारियों संगठनों ने इसे कर्मचारी विरोधी फैसला करार दिया है। कर्मचारी संगठनों ने छोटे कर्मचारियों के पदों को फिलहाल कुछ समय के लिए समाप्त करने, नई नियुक्ति पर रोक लगाने के फैसले का विरोध किया है, संगठनों ने साफ किया है कि सरकार का कर्मचारियों के प्रति यही रवैया रहा तो आने वाले समय में सरकार खुद आंदोलन के लिए रास्ता तैयार कर रही है, इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के कार्यकारी महामंत्री अरुण पांडे ने बयान जारी कर बताया कि मुख्य सचिव द्वारा मितव्ययिता बरतने हेतु जारी किए गए शासनादेश में प्रदेश के कर्मचारियों एवं प्रदेश के बेरोजगारों पर आघात पहुंचाने का एक प्रयास प्रदर्शित होता है। पूर्व में भी सरकार व शासन द्वारा राज्य कर्मियों का डीए फ्रिज कर दिया गया एक-एक दिन का वेतन साल भर के लिए काट लिया गया और नई पेंशन पार्टी में 12% की जगह 10% राज्यांश जमा किया जा रहा है। इस प्रकार सरकार बचत का सारा भार प्रदेश के कर्मचारियों पर ही थोपना चाह रही है।