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राफेल पर CAG की रिपोर्ट आई सामने, जानें क्या है बड़ी बातें

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CAG रिपोर्ट के मुताबिक 126 विमानों की तुलना में 36 राफेल कॉन्ट्रैक्ट में 17.08 फीसदी पैसे बचे हैं। कैग रिपोर्ट से पता चलता है कि यूपीए सरकार के दौरान सौदे की जो कीमत थी, वो एनडीए सरकार में कम रही है।
बता दें कि मोदी सरकार के समय में 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद की डील हुई. इससे पहले UPA के समय में 126 राफेल का सौदा हुआ था, पर कई शर्तों पर आम राय नहीं बन सकी थी।
कैग रिपोर्ट में इस बिंदु पर खास जोर दिया गया है कि इंडियन एयरफोर्स (एयर स्टाफ क्लालिटेटिव रिक्वॉयरमेंट) को सही ढंग से वेंडर्स के सामने नहीं रख पाई। इस वजह से वेंडर ASQR के पैमाने पर खरे नहीं उतर पाए और इसका असर ये हुआ कि खरीद प्रक्रिया में देरी हुई। साथ ही, ASQR की वजह से तकनीकी और वित्तीय मूल्यांकन के दौरान दिक्कतें आईं। इसकी वजह से राफेल सौदे को मुकाम तक पहुंचाने में दिक्कत आई।
कैसे कम हुई लागत, इस पर डालें एक नजर
सेवाएं, उत्पाद, ऑपरेशनल सपोर्ट इक्विपमेंट, टेक्निकल एसिस्टेंट..4.77 फीसदी कम लागत
भारतीय जरूरतों के मुताबिक बदलाव करने पर… 17.08 फीसदी कम लागत
इंजीनियरिंग सपोर्ट पैकेज के मद में…6.54 फीसदी ज्यादा लागत
प्रदर्शन आधारित लॉजिस्ट‍िक मद में…6.54 फीसदी ज्यादा लागत
मानक तैयारी मद में…समान लगात
टूल्स, टेस्टर्स और ग्राउंड इक्व‍िपमेंट मद में…..0.15 फीसदी ज्यादा लागत
हथियार आधारित पैकेज मद में…1.05 फीसदी ज्यादा लागत
रोल इक्विपमेंट    मद में…समान लगात
पायलटों और टेक्नीशियन की ट्रेनिंग मद में…2.68 फीसदी ज्यादा लागत
सिमुलेटर एवं सिमुलेटर ट्रेंनिंग आदि मद में…समान लागत
फ्लाइवे विमान लागत    मद में पहले जैसी लागत
इन सबों को जोड़ने पर 2.86 फीसदी लागत कम बैठती है।

रिपोर्ट में क्या कहा गया है 
इसके अनुसार कीमत को लेकर स्पष्ट बात नहीं की गई है, लेकिन साल 2007 और साल 2015 के दौरान मूल्य को लेकर तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है।
रिपोर्ट में लिखा गया है कि इंडियन नेगोशिएटिंग टीम द्वारा गणना किए गए संरेखित मूल्य ‘यू 1’ मिलियन यूरो था, जबकि लेखापरीक्षा द्वारा आंकलित की गई संरेखित कीमत ‘सीवी’ मिलियन यूरो थी।
रिपोर्ट के अनुसार यह वह कीमत थी, जिस पर 2015 में अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाने चाहिए थे. यदि 2007 और 2015 की कीमतों को बराबर माना जाता।
रिपोर्ट लिखता है कि क्योंकि डील 2016 में हुई, ‘यू’ मिलियन यूरो के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे, और यह लेखापरीक्षा के संरेखित कीमत से 2.86 प्रतिशत कम थी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस के लोग सुप्रीम कोर्ट को गलत कह रहे हैं, कैग को झूठा बता रहे हैं। सिर्फ एक ही परिवार सच बोल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि देश को गुमराह करने वालों को जनता सजा देगी।
बता दें, कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार आरोप लग रहा है कि मोदी ने डील में अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाया है।

रिपोर्ट में कीमत का जिक्र नहीं है। लेकिन इस सौदे के दौरान बाजार के क्या हालात थे, बाजार में किस तरह के दाम चल रहे थे इसका जिक्र जरूर है।

कैग की रिपोर्ट में और क्या है 
CAG की रिपोर्ट में राफेल के अलावा सरकार के अन्य खर्चों की भी ऑडिट है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त मंत्रालय के 2017-18  में आवंटित बजट से 1,157 करोड़ रुपये अधिक खर्च किये हैं। और इन खर्चों के लिए संसद की अनुमति नहीं ली गई। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 के दौरान संसद की पूर्वानुमति के बिना 1,156.80 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।

संसदीय कार्य वित्त मंत्रालय और अतिरिक्त दिशा-निर्देशों को अगर देखें तो किसी भी अनुदान सहायता, सब्सिडी या नई सेवा के प्रावधान को बढ़ाने के लिए पहले संसद की अनुमति लेने की जरूरत होती है।

हालांकि PAC ने अनुदान सहायता और सब्सिडी प्रावधान बढ़ाने के मामलों पर संबंधित मंत्रालयों और विभागों द्वारा दोषपूर्ण बजट अनुमान और वित्तीय नियमों में कमियां की तरफ इशारा किया था।

वहीं, CAG की रिपोर्ट के मुताबिक, PAC की सिफारिशों के बावजूद वित्त मंत्रालय ने उपयुक्त तंत्र तैयार नहीं किया जिसकी वजह से 2017-18 में 13 अनुदानों के मामले में संसद की मंजूरी के बिना कुल 1,156.80 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए।