पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर उत्तराखण्ड़ में जहां सरकार असमंजस में है, तो वहीं कांग्रेस का स्टैंड उस पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने के राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगाने के नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले को अवैध ठहरा दिया। इससे पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करने के सरकार के आदेश के फिर प्रभावी होने का रास्ता साफ हो गया।
उधर, इस मसले पर कांग्रेस ने लोकसभा व राज्यसभा में केंद्र की भाजपानीत राजग सरकार को घेरने की कोशिश की। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के इस रुख के बाद उत्तराखंड में सियासत गर्मा गई। उत्तराखंड में सामान्य एवं ओबीसी वर्ग के सरकारी कर्मचारियों ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
राज्यभर में जिस तरह कांग्रेस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का सिलसिला चला, उसने पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। उस पर आम जनता पर भी इसका असर दिख रहा है। हालांकि सूबे में कांग्रेस इस मुद्दे पर बीच का रास्ता अख्तियार किए हुए है, लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेता पदोन्नति में आरक्षण की खुलकर पैरवी कर रहे हैं। इससे उत्तराखंड में कांग्रेस की बेचैनी बढ़ गई है। लंबे समय से पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने की लड़ाई लड़ रहे सामान्य व ओबीसी वर्ग के कर्मचारियों में कांग्रेस नेतृत्व के इस स्टैंड से गहरी नाराजगी फैल गई। उन्होंने खुले तौर पर कांग्रेस के खिलाफ प्रदेशव्यापी आंदोलन का एलान कर दिया। बुधवार को इसका असर राज्य भर में दिखा।
दरअसल, उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारी एक बड़े वोट बैंक की भूमिका में रहते आए हैं। राज्य में सरकारी कर्मचारियों की संख्या लगभग 3.50 लाख है। इनमें शिक्षक, निगम और निकायों के कर्मचारी भी शामिल हैं। कर्मचारी एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि बृहस्पतिवार तक पदोन्नति पर लगी रोक नहीं हटाई गई तो कर्मचारी शुक्रवार को अपने-अपने कार्यालय में कार्य बहिष्कार कर देंगे।