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उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के मौके पर पहाड़ की बेटियों ने बताए पहाड़ में विकास और तरक्की के रास्ते…

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उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के मौके पर उमर उजाला और सरकार की ओर से आयोजित मातृशक्ति सम्मेलन में बेटियों ने ही पहाड़ में तरक्की और विकास के रास्ते बताए। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि बेटियों को समानता व स्वायत्ता का अधिकार मिलना चाहिए। पहाड़ में 80 प्रतिशत महिलाएं खेतीबाड़ी करती हैं, लेकिन जमीन महिलाओं के नाम पर नहीं है। माता-पिता की संपत्ति पर सिर्फ बेटों का ही अधिकार क्यों है? उत्तराखंड में भी बेटियां कम पैदा हो रही हैं और प्रसव पीड़ा में गर्भवती महिलाओं की मौत हो रही है। उन्होंने इस पर सरकार से महिलाओं के स्वास्थ्य और लिंगानुपात सुधारने पर ध्यान देने का आग्रह किया।

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सम्मेलन को गढ़वाली में संबोधित किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार महिलाओं के उत्थान के प्रति संवेदनशील है। सम्मेलन में जो भी सुझाव आएंगे, सरकार उन्हें नीतियों में शामिल करेगी। जबकि फिल्म अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी ने कहा कि अभिनेत्री से पहले मैं पहाड़ की बेटी हूं। मातृशक्ति ने ही पहाड़ को बचा कर रखा है। गौरा देवी, टिंचरी माई, विमला बहुगुणा समेत तमाम महिलाओं का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उत्तराखंड समृद्ध है, लेकिन यहां के कलाकारों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान नहीं मिल पाई है। जिस तरह से मलयालम, पंजाब, गुजरात की फिल्में लोकप्रिय हो रही हैं, उसी तरह उत्तराखंड में गढ़वाली व कुमाऊंनी फिल्म बननी चाहिए।

अमर उजाला उत्तराखंड के संपादक संजय अभिज्ञान ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए आवाज उठानी चाहिए। मानव विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक दुश्वारियां झेलने के बाद भी महिलाएं प्रसन्न हैं। मन में दुख झेल कर खुश रहना सही नहीं है। इसके लिए महिलाओं को अपने हक के लिए सवाल खड़े करने चाहिए। वहीं, अमर उजाला के मार्केटिंग प्रेजीडेंट राजीव केंटल ने धन्यवाद प्रेषित किया।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हमें बेटियों को निर्णय लेने की स्वतंत्रता देनी होगी, उनकी क्षमताओं पर भरोसा करना होगा। ऐसा करने में बिल्कुल संकोच न करें, यह संकोच ही बेटियों के जीवन की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है। समाज को शक्ति और नई दिशा देने में महिलाओं की अहम भूमिका है। महिलाओं के उत्थान व उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए प्रदेश सरकार की सकारात्मक सोच है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उन माता-पिता को नसीहत दी है कि जो बेटियों के आगे बढ़ने की राह में बंदिशें लगाते हैं। बकौल सीएम मैंने आज तक अपने लिए कुछ नहीं मांगा। एक बार मंदिर गया, मेरी मां ने कहा कि बेटी मांगना। ईश्वर की कृपा से आज मेरी दो बेटियां है। 10वीं की पढ़ाई के बाद बेटियों को स्वयं निर्णय लेने की स्वायत्तता दी है। बड़ी बेटी को बुलेट चलाने का शौक था और वो बुलेट भी चलाती है। बच्चों को चुप करने बजाए उनके सवालों का जवाब देना चाहिए। संकोच जीवन में सबसे बड़ी बाधा है।

फिल्म अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी ने पहाड़ों से तेजी से हो रही पलायन पर खुद की लिखी कविता ‘पहाड़ रोते हैं अकसर रात को, पहाड़ी ही जानते हैं अब वो कभी नहीं लौटेंगे’ सुनाई। मूल रूप से भटवाड़ी गांव की रहने वाली हिमानी शिवपुरी ने कहा कि गांव में चाचा रहते थे। उनका बेटा था। घर से लेकर खेतीबाड़ी का सारा काम भाभी ही करती थी। चाचा का बेटा शहर आने के बाद गांव नहीं लौटा। हिमानी ने बताया कि फिल्मों में बुआ, मौसी, चाची, मामी, मां का किरदार करने के बाद अब वह दादी का किरदार भी निभा रही हैं।

किरन पुरोहित न कहा कि हमें जल संसाधनों को बचाने की जरूरत है। जब खेती की बात आती है तो ट्रेनिंग लेने के लिए पुरुषों को भेजा जाता है। जबकि  पहाड़ में खेता में ज्यादातर महिलाएं काम करती हैं। कहा कि आपदा का सबसे बड़ा खामियाजा भी महिलाओं को ही होता है। महिलाओं को खुद के निर्णय खुद लेने वाला होना चाहिए।

जागर गायिका बसंती बिष्ट ने कहा कि पहाड़ का पुरुष महिलाओं को समझता है। सरकार के साथ ही गैर सरकारी संस्थाओं को भी लोक संस्कृति को बचाने के लिए प्रयास करना होगा। इसके लिए ग्रामीण स्कूलों में बच्चों को लोक संगीत सिखाया जाए। इसके साथ ही स्कूलों में इसे सिखाने के लिए ग्रामीणों की ही नियुक्ति की जाए। जिससे वे कमा भी सकें। कहा कि महिलाओं को बहुत सारी चिंता रही हैं। जिनके पति आर्मी में है उन्हें पहाड़ में कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। कुछ भी गलत होता है तो महिलाओं को ही दोषी ठहराया जाता है।

रंजना रावत ने कहा कि उन्होंने 90 फीसदी महिलाओं को अपने साथ जोड़कर नया मुकाम पाया है। हमने प्रसाद, जूट के बैग बनाने शुरू किए। इन्हीं बैग में केदारनाथ धाम का प्रसाद दिया जाता है। इस काम से हमारे साथ 675 महिलाएं जुड़ी हैं। उन्होंने बताया कि पहले मशरूम उत्पादन में लगी महिलाओं को तवज्जो नहीं दी जाती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। उन्होंने ये काम किया और उन्हें काफी सफलता भी मिली। एक महिला ने पूछा कि हम धूप बनाने का कारोबार करते हैं तो इसे प्रमोट कैसे करें? इस पर रेखा शर्मा ने कहा कि हम होम स्टे बिजनेस के लिए ट्रेनिंग दे रहे हैं। हम आपकी इसमें मदद जरूर करेंगे।