Home धर्म-कर्म माँ डाट काली मंदिर, यहां अंग्रेजों का घंमड भी हुआ था चूर।

माँ डाट काली मंदिर, यहां अंग्रेजों का घंमड भी हुआ था चूर।

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उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है,यहां कण-कण में देवताओं का वास है।यहां पग-पग पर विभिन्न मंदिर स्थापित है, जिनका अपना-अपना पौराणिक महत्व है।आज हम बात कर रहे हैं देहरादून की सीमा पर स्थित मां डॉट काली मंदिर की।मंदिर के निर्माण के पीछे भी एक अनोखी कहानी है, बताते हैं कि अंग्रेज जब दून घाटी में आ रहे थे तो यहां प्रवेश करने के लिए उन्हें सुरंग बनाने की जरूरत पड़ी। अंग्रेजों ने यहां सुरंग बनाना शुरू कर दिया, इसी दौरान खुदाई करते वक्त मजदूरों को यहां से मां काली की मूर्ति मिली। मूर्ति निकलने के बाद जब अंग्रेज सुरंग निर्माण का काम करा रहे थे तो ये काम आगे नहीं बढ़ पाया। दरअसल मजदूर पूरा दिन खुदाई करने के बाद जब सो जाया करते थे तो सुबह उन्हें वो काम फिर से अधूरा मिलता था।
कुल मिलाकर काम में लगातार अड़चनें आ रही थीं। मान्यता है कि एक रात मां काली ने एक अंग्रेज इंजीनियर को सपने में दर्शन दिए और उससे मंदिर बनाने को कहा। इसके बाद सुरंग के पास ही मंदिर बनाया गया और वहां मां काली की मूर्ति स्थापना की। तब कहीं जाकर सुरंग बन पाई। गढ़वाली भाषा मे सुरंग को डाट कहते हैं, यही वजह है कि इस मंदिर का नाम डाट काली पड़ा। आज भी नया काम शुरू करते वक्त या नया वाहन खरीदने के बाद श्रद्धालु मां डाट काली के दर्शन करने जरूर आते हैं। नवरात्रि के मौके पर यहां विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। ये मंदिर देहरादून से 14 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर स्थित है। जो भी दून आता है या दून से जाता है वो मां डाट काली का आशीर्वाद लेने के लिए उनके मंदिर के पास जरूर रुकता है।ये मंदिर जितना चमत्कारी है, इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं भी उतनी ही अनोखी हैं।