हरिद्वार: हरिद्वार संसदीय सीट पर भाजपा के रमेश पोखरियाल निशंक ने करीब साढ़े सात हजार वोटों की बढ़त बना ली है। शुरुआत में कांग्रेस के अंबरीश कुमार भाजपा से आगे चल रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे जैसे ही मतगणना ने रफ्तार पकड़ी रमेश पोखरियाल निशंक की बढ़त भी बढ़ती गई।
कांग्रेस के अंबरीश कुमार ने जहां भगवानपुर और लक्सर विधानसभा सीट से बढ़त बनाई है, वहीं हरिद्वार ग्रामीण और हरिद्वार शहर के मतदाताओं ने रमेश पोखरियाल निशंक पर भरोसा किया। पहले राउंड की मतगणना के बाद हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से भाजपा के रमेश पोखरियाल निशंक को 5205, कांग्रेस के अंबरीश कुमार को 1854, बसपा के डॉ. अंतरिक्ष सैनी को 632, रानीपुर विधानसभा सीट से भाजपा के रमेश पोखरियाल निशंक को 4694, कांग्रेस के अंबरीश कुमार को 3705, बसपा के डॉ. अंतरिक्ष सैनी को 162, हरिद्वार शहर से भाजपा को 5687, कांग्रेस को 1003 और बसपा को 42 वोट मिले।
झबरेड़ा से रमेश पोखरियाल निशंक को 1984, कांग्रेस के अंबरीश कुमार को 1042, बसपा के डॉ. अंतरिक्ष सैनी को 1583, कलियर विधानसभा सीट से भाजपा के रमेश पोखरियाल निशंक को 2793, कांग्रेस के अंबरीश कुमार को 1309, बसपा के डॉ. अंतरिक्ष सैनी को 1122, रुड़की से भाजपा को 2233, कांग्रेस को 820, बसपा को 644, लक्सर विधानसभा सीट से भाजपा को 1368, कांग्रेस को 2925, बसपा को 1575, भगवानपुर विस से भाजपा के रमेश पोखरियाल निशंक को 885, कांग्रेस के अंबरीश कुमार को 4059, बसपा के अंतरिक्ष सैनी को 638 वोट मिले।
डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, सांसद(हरिद्वार, उत्तराखंड)
- पिता- स्व. परमानंद पोखरियाल
- मां- स्व. विशंभरी देवी
- जन्म- 15 जुलार्इ 1959
- जन्म स्थान- पिनानी, पौड़ी गढ़वाल
- शादी- 7 मई 1985
- पत्नी- कुसुमकांता
- शिक्षा- एमए, पीएचडी(ऑनर्स), डी. लिट(ऑनर्स), हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी श्रीनगर।
- साल 1991 से साल 2012 तक पांच बार यूपी और उत्तराखंड की विधानसभा पहुंचे।
- साल 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश में कर्णप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित। जिसके बाद लगातार तीन बार विधायक बने।
- साल 1997 में उत्तर प्रदेश सरकार में कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में पर्वतीय विकास विभाग के मंत्री बने।
- साल 1999 में रामप्रकाश गुप्त की सरकार में संस्कृति पूर्त व धर्मस्व मंत्री।
- 2000 में उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद प्रदेश के पहले वित्त, राजस्व, कर, पेयजल सहित 12 विभागों के मंत्री।
- वर्ष 2007 में उत्तराखंड सरकार में चिकित्सा स्वास्थ्य, भाषा तथा विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री।
- वर्ष 2009 में उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री।
- वर्ष 2012 में डोईवाला (देहरादून) क्षेत्र से विधायक निर्वाचित।
- वर्ष 2014 में डोईवाला से इस्तीफा देकर हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित।
- निशंक एक कवि भी हैं।
देवभूमि उत्तराखंड और छोटा चारधाम यात्रा के प्रवेश हरिद्वार संसदीय क्षेत्र की पहचान गंगा तीर्थ, शक्तिपीठ मां मसंसा देवी-चंडी देवी, हरकी पैड़ी और देश की महारत्न कंपनी भेल के साथ-साथ योग-आयुर्वेद और अध्यात्म नगरी केनाम से होती रही है, इधर के दिनों में इसे गायत्री तीर्थ शांतिकुंज और योगगुरु बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ से भी जाना व पहचाना जा रहा है। इसके अलावा हाथियों और बाघ के लिए विश्व प्रसिद्ध राजाजी टाइगर रिर्जव ने भी इसे अलग पहचान दी है। हरिद्वार की सीमा उत्तर प्रदेश के मुज्जफरनगर, बिजनौर और सहारनपुर से लगी होने के साथ-साथ देहरादून और पौड़ी जनपद से भी लगी हुई है।
राजनीतिक विरासत के तौर हरिद्वार संसदीय क्षेत्र की कोई अलग पहचान नहीं है, वर्ष 1977 में अस्तित्व में आई इस संसदीय सीट से अब तक पांच-पांच बार भाजपा और कांग्रेस, दो बार भारतीय लोकदल और एक बार समाजवादी पार्टी ने अपना परचम लहराया। उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद यहां हुए तीन लोकसभा चुनाव में एक-एक बार सपा, कांग्रेस और भाजपा ने चुनाव जीता। वर्तमान में यहां से भाजपा नेता पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक सांसद हैं। उनसे पहले 2004 में सपा के राजेंद्र बाड़ी और 2009 में कांग्रेस के हरीश रावत यहां से सांसद रहे। 2001 की जनगणना के हिसाब से हुए परिसीमन के बाद वर्ष 2011 में इस संसदीय क्षेत्र में देहरादून की तीन विधानसभाओं को जोड़ा गया था।
इससे पहले 2004 और 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र जिले की 9 विधान सभा हरिद्वार शहर, बहदराबाद, लालढांग, भगवानपुर, लक्सर, मंगलौर, लंढौरा, रुड़की व इकबालपुर विधानसभा के आधार पर हुए थे। 2011 में हुए नए परिसीमन में बहदराबाद, लालढांग, लंढौरा और इकबालपुर चार विधानसभाओं का अस्तित्व समाप्त हो गया, इनकी जगह भेल-रानीपुर, हरिद्वार ग्रामीण, खानपुर, पिरान कलियर, झबरेड़ा और ज्वालापुर छह नई विधान सभा अस्तित्व में आईं। इस तरह वर्तमान में हरिद्वार जिले में कुल 11 विधानसभा अस्तित्व में हैं, विधानसभा के लिहाज से यह राज्य का सबसे बड़ा जिला है।
हरिद्वार संसदीय क्षेत्र में कुल 14 विधानसभा हैं, इसमें 11 हरिद्वार जिले की हरिद्वार शहर, भेल-रानीपुर, ज्वालापुर, हरिद्वार ग्रामीण, लक्सर, रूड़की, पिरान कलियर, भगवानपुर, मंगलौर, झबरेड़ा और खानपुर और तीन देहरादून डोईवाला, धर्मपुर और ऋषिकेश विधानसभा शामिल हैं। इन 14 विधानसभाओं में भाजपा का पलड़ा भारी है। भाजपा के कब्जे में हरिद्वार शहर, भेल-रानीपुर, ज्वालापुर, हरिद्वार ग्रामीण, लक्सर, रूड़की, झबरेड़ा और खानपुर और तीन देहरादून की डोईवाला, धर्मपुर और ऋषिकेश विधानसभा हैं, जबकि कांग्रेस के पास भगवानपुर, पिरानकलियर और मंगलौर विधानसभा है।
राजनीतिक दृष्टि से हरिद्वार में भाजपा-कांग्रेस के अलावा बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी भी अपना वजूद रखती हैं। हालांकि विधानसभा-दर-विधानसभा चुनाव के इनका ग्राफ लगातार गिरता ही जा रहा है, वर्तमान में सपा यहां अपना अस्तित्व पूरी तरह खो चुकी है, जबकि बसपा 2002, 2007 और 2012 में क्रमश: 5, 6 व 3 हो गई, 2017 में यह संख्या घटकर शून्य हो गई। सपा ने यहां विधानसभा चुनाव में कोई सफलता नहीं पाई, जबकि वर्ष 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी राजेंद्र बाड़ी ने यहां से जीत दर्ज की थी। वर्तमान में हरिद्वार संसदीय क्षेत्र की 14 में 11 पर भाजपा विधायक और 3 कांग्रेस विधायक हैं।