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धोनी डीआरएस और फील्ड सेटिंग में माहिर, विराट के लिए अहम रोल निभा सकते हैं

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वनडे वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया इंग्लैंड रवाना हो चुकी है। रवाना होने से पहले कप्तान विराट कोहली ने वर्ल्ड कप में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जताई। वहीं, मुख्य कोच रवि शास्त्री ने महेंद्र सिंह धोनी की भूमिका को अहम करार दिया। धोनी अपनी कप्तानी में भारत को टी-20 और वनडे वर्ल्ड कप के साथ-साथ चैम्पियंस ट्रॉफी भी जिता चुके हैं। इस वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की कमान भले ही उनके हाथ में न हो, लेकिन उनकी सलाह विराट की कप्तानी में टीम को विश्व कप जिताने में काफी मददगार साबित हो सकती है।

सुनील गावस्कर, ऑस्ट्रेलिया के पूर्व ऑलराउंडर एंडी बिकेल समेत कई पूर्व क्रिकेटर भी कह चुके हैं कि धोनी का अनुभव विराट के बेहद काम आएगा। बिकेल ऑस्ट्रेलिया की 2003 वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा थे। एक नजर उन बिंदुओं पर जहां धोनी का अनुभव विराट के काम आ सकता है।

डीआरएस : डीआरएस लेने का फैसला अहम होता है, क्योंकि यदि यह आपके पक्ष में गया तो आप दोबारा इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। अन्यथा नतीजा उलट जाने के साथ ही आप इसे दोबारा लेने का मौका भी गंवा देते हैं। धोनी डीआरएस लेने के एक्सपर्ट माने जाते हैं। कुछ क्रिकेट विशेषज्ञों ने तो डीआरएस का नाम डिसीजन रिव्यू सिस्टम की जगह धोनी रिव्यू सिस्टम तक रख दिया है। ऐसे में डीआरएस लेने के मामले में धोनी विराट की बड़ी मदद कर सकते हैं।

फील्ड सेटिंग : धोनी फील्ड का संयोजन बहुत अच्छे से करते हैं। गेंदबाजों से बात करते हुए वे बताते हैं कि कैसी और कहां गेंद फेंकनी है? हाल ही में आईपीएल के कई मैच में यह देखने को भी मिला। विकेट के पीछे से वे गेंदबाज को यह तक बता देते थे कि बल्लेबाज कैसा शॉट खेलेगा। बल्लेबाज की क्या कमियां हैं, कौन सा एरिया उसकी कमजोर कड़ी है। इसका एनालिसिस करने के बाद ही वे फील्डिंग लगाते हैं। विराट इस काम में भी उनकी मदद ले सकते हैं।

दबाव की परिस्थिति : धोनी को ‘कैप्टन कूल’ के नाम से भी जाना जाता है। उनका यह शांत स्वभाव दबाव की परिस्थिति में सही फैसले लेने में काफी काम आता है। इस साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज के दूसरे मैच में विजय शंकर से 50वां ओवर कराने का फैसला भी धोनी का था। उस मैच में आखिरी ओवर में ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 10 रन बनाने थे और उसके 2 विकेट गिरने बाकी थे। क्रीज पर मार्क्स स्टोइनिस और नाथन लियान थे। स्टोइनिस अर्धशतक लगा चुके थे। ऐसे में धोनी ने विराट को शंकर से आखिरी ओवर कराने की सलाह दी। आखिरी ओवर फेंकने से पहले शंकर एक ओवर में 13 रन दे चुके थे। शंकर ने आखिरी ओवर की पहली गेंद पर स्टोइनिस को एलबीडब्ल्यू किया। उनकी दूसरी गेंद पर एडम जम्पा ने 2 रन लिए। तीसरी गेंद पर शंकर ने जम्पा को बोल्ड कर भारत को मैच जिता दिया। यह पहला मौका नहीं था जब धोनी ने विपक्षी टीम के हाथ से जीत छीनी हो। इंग्लैंड रवाना होने से पहले विराट ने कहा भी था कि वहां पर वर्ल्ड कप के दबाव को झेलना ज्यादा जरूरी होगा। ऐसी स्थित में धोनी विराट के लिए बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

फिनिशर : धोनी मैच फिनिशर माने जाते हैं। उन्होंने अब तक 341 वनडे खेले हैं। इनमें से वे 82 मैच में नॉटआउट रहे हैं। इन 82 में से टीम इंडिया 67 वनडे जीतने में सफल रही है। यानी उनके नॉटआउट रहते हुए भारतीय टीम को सिर्फ 15 वनडे में ही हार का सामना करना पड़ा है, बाकी में वे टीम को जिताकर ही पवेलियन लौटे हैं। धोनी निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ भी तेजी से रन बनाने का माद्दा रखते हैं। आईपीएल के दौरान उन्होंने एक मैच में एक ओवर में 28 रन तक बनाए थे। उनकी यह खूबी संकट के समय टीम इंडिया को जीत दिलाने में अहम साबित हो सकती है।