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देहरादून के कॉलेजों में पल रहे स्लीपर सेल, हिजबुल कमांडर का भी था ठिकाना देहरादून में,

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दून के कॉलेजों में आतंकी संगठनों के स्लीपर पलते हैं। इनके तार आतंक प्रभावित राज्य जम्मू-कश्मीर से जुड़ते रहे हैं। वहीं, हिजबुल कमांडर ने भी दून को ठिकाना बनाया था।

देहरादून: दून के कॉलेजों में आतंकी संगठनों के स्लीपर पलते हैं। यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं, बल्कि उस हकीकत की ओर इशारा करता है, जिसके तार आतंक प्रभावित राज्य जम्मू-कश्मीर से जुड़ते रहे हैं। दो साल के दौरान दानिश खान और शोएब अहमद लोन के नाम आतंकियों के रूप में आए थे। ये दोनों कश्मीर से देहरादून पढ़ाई के लिए आए और कुछ समय यहां रहने के बाद आतंकी संगठन के सदस्य बन गए। सुरक्षा एजेंसियों की मानें तो आतंकी संगठन देश के विभिन्न हिस्सों में इसी तरह अपने स्लीपर सेल बनाते हैं, जो उनके लिए खुफिया जानकारी एकत्रित करते हैं।

बीते दिनों जम्मू-कश्मीर में हुई आतंकी मुठभेड़ में मारा गया शोएब मोहम्मद लोन हिजबुल मुजाहिद्दीन ज्वाइन करने से पहले दून आया था। शोएब के आतंक की राह चुनने के बाद से जम्मू-कश्मीर के सैन्य अधिकारी और इंटेलीजेंस ब्यूरो के आला अधिकारियों ने प्रेमनगर क्षेत्र के उस संस्थान से भी संपर्क किया था, जहां वह दो साल तक बीएससी-आइटी का छात्र रह चुका था, लेकिन उसके बारे में कोई खास इनपुट नहीं मिले।

दरअसल, शोएब के बीस सितंबर 2018 को हिजबुल ज्वाइन करने के एक दिन बाद ही उसकी मां यह बात पता चल गई थी। 22 सितंबर को उसकी मां ने बेटे को वापस लाने के लिए कुलगाम में सेना के अधिकारियों से संपर्क किया। तब उसकी मां ने बताया था कि बीस सितंबर से दस रोज पहले शोएब घर से देहरादून अपने कॉलेज जाने की बात कह कर निकला था। खुफिया जांच में इसकी पुष्टि भी हो गई। पता चला कि कुलगाम से निकलने के बाद शोएब दून आया था। यहां वह कुछ दिन ठहरा भी था। खुफिया एजेंसियों में हड़कंप की स्थिति भी इसीलिए है कि जब शोएब ने आतंक की राह चुन ही ली थी तो उसके दून आने का उद्देश्य क्या था?

सीडीआर से मिली थी अहम जानकारी

इस बात की आशंका से बिल्कुल भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि शोएब ने हिजबुल ज्वाइन करने का फैसला एकाएक लिया था। खुफिया एजेंसियों का मानना है कि निश्चित तौर पर संगठन को पूर्व में उसने कुछ ऐसा बताया होगा, जिससे उसे न सिर्फ आतंकी संगठन में शामिल किया गया, बल्कि सोशल मीडिया पर उसके इस खतरनाक कदम का ढिंढोरा भी पीटा गया।

सीनियर छात्र के साथ रूम पार्टनर

बीएससी-आइटी द्वितीय वर्ष की अंतिम परीक्षा देने के बाद जून 2108 में ही शोएब दून से अपने घर कुलगाम (जम्मू-कश्मीर) चला गया था। अगस्त में तृतीय वर्ष की पढ़ाई के लिए आना था, लेकिन वह नहीं आया। इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने उसके घर संपर्क किया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।कॉलेज प्रशासन ने उसके रूम पार्टनर से जानकारी जुटानी चाही तो पता चला कि वह तो यहां से पढ़ाई पूरी कर जा चुका था। शोएब प्रेमनगर में इंस्टीट्यूट के पास ही एक मकान में सीनियर छात्र के साथ किराये पर रहता था।

एजेंट के जरिये आते हैं कश्मीरी छात्र

शोएब को प्रेमनगर स्थित इंस्टीट्यूट में एजेंट के जरिये दाखिला मिला था। दरअसल, यह एजेंट कश्मीरी मूल के छात्रों को प्राइवेट संस्थानों में दाखिला दिलाकर अच्छा-खासा कमीशन पाते हैं। शोएब को दाखिला दिलाने वाले एजेंट को भी खुफिया एजेंसियों ने राडार पर लिया था, लेकिन कुछ खास हाथ नहीं लगा।