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नैनीताल में फीकी पड़ रही पर्यटकों की रौनक, सरकारी दावों की खुल रही पोल

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सरकार पर्यटन के लिए कितनी संवेदनशील है, इसकी बानगी नैनीताल पर्यटन विभाग के आकड़े बयां कर रहे हैं. विभाग के आकड़ों की मानें तो हर साल नैनीताल आने वाले पर्यटको की संख्या में कमी आई है. पर्यटक नैनीताल आने के बजाए दूसरे पर्यटक स्थल का रुख कर रहे हैं.
पर्यटकों की घटती संख्या को देखकर पर्यटन कारोबारी भी परेशान हैं. यहां के व्यापारियों का कहना है कि सरकार केवल कागजों में ही काम कर रही है. धरातल पर कोई काम नहीं हो रहा है. जिसका खामियाजा यहां के व्यवसाइयों को हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार नैनीताल के बदहाल पड़े पर्यटक स्थलों को सुधारने के लिए भी कुछ नहीं कर रही है. जिसकी वजह से पर्यटक केवल 1 बार नैनीताल आकर दूसरी बार नैनीताल का रुख नहीं कर रहा है.
 
स्थानीय लोगों का मानना है कि नैनीताल आने वाले पर्यटकों के लिए यहां पार्किंग तक की उचित व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण यहां आने वाले पर्यटकों को आए दिन जाम से जूझना पड़ता है. उन्होंने कहा कि यही कारण है कि अब पर्यटक नैनीताल आना पसंद नहीं कर रहे हैं. वहीं नैनीताल में चल रही टैक्सी चालकों द्वारा पर्यटकों से बदसलुखी के कारण भी पर्यटकों का नैनीताल से मोह भंग हो रहा है. 
 
बीते 2007 से नवंबर 2018 तक पहुंचे पर्यटकों की संख्या
  • 2007-  5,89,516 पर्यटक
  • 2008- 6,22,539 पर्यटक
  • 2009- 7,55,279 पर्यटक
  • 2010- 7,93,828 पर्यटक
  • 2011-  8 ,43, 815 पर्यटक
  • 2012- 7,44,218 पर्यटक
  • 2013- 3,20,156 पर्यटक
  • 2014- 4,13,55 पर्यटक
  • 2015- 4,89,225 पर्यटक
  • 2016- 6,54,000 पर्यटक
  • 2017- 4,21,000 पर्यटक
  • 2018 नवम्बर तक करीब 3 लाख पर्यटक नैनीताल पहुचें हैं.
 सरोवर नगरी नैनीताल में घटते पर्यटकों की संख्या चिंता का विषय है. अगर साल दर साल ये सैलानियों का नैनीताल से इसी तरह मोह भंग होता रहा तो उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश बनाने का सपना कभी साकार नहीं हो पाएगा. इसके साथ ही यहां रह रहे लोगों की जीविका पर भी संकट के बादल छा जाएंगे.