
अनियंत्रित जीवनशैली के कारण होने वाली ये स्वास्थ्य समस्या हर वर्ग के लोगों के लिए घातक बन चुकी है। यह एक चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें धमनियों में रक्त दबाव सामान्य से तेज हो जाता है। सामान्य स्थित में रक्त प्रवाह 120/80 से 140/90 के बीच रहता है। लेकिन जैसे ही ब्लड प्रेशर इससे अधिक होने लगता है उच्च रक्तचाप की समस्या खड़ी हो जाती है। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि दवा के साथ-साथ प्रीहाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप को योग की मदद से कैसे नियंत्रण में रख सकते हैं।

आसन
ताड़ासन, त्रिकोणासन, वीरासन, सूर्य नमस्कार, वज्रासन, कण्डूकासन, सुप्त वज्रासन, अर्धमत्स्येद्रासन, गोमुखासन, पवनमुक्तासन, मर्कटासन तथा शलभासन का नियमित अभ्यास करने से रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है।

पवनमुक्तासन का अभ्यास
पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं। शरीर को ढीला तथा सहज छोड़ दें। अब दाहिने पैर को घुटने से मोड़कर उसे दोनों हाथों की हथेलियों से पकड़कर छाती की तरफ लाएं। श्वास-प्रश्वास सहज रखें। इसके बाद सिर को जमीन से ऊपर उठाकर दाएं पैर को नाक से छूने का प्रयास करें, मगर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। इस स्थिति में आरामदायक अवधि तक रुककर वापस पूर्व स्थिति में आएं। यही क्रिया बाएं पैर से तथा दोनों पैरों से एक साथ भी करें। यह एक चक्र है। शुरूआत में इसके दो से तीन चक्रों का अभ्यास करें। धीरे-धीरे चक्रों की संख्या बढ़ाकर 10 से 15 कर सकते हैं।

प्राणायाम
उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोग योग का पहले से अभ्यास नहीं कर रहे हैं तो उन्हें पहले यौगिक श्वसन क्रिया तथा नाड़ीशोधन के सरल रूप से शुरूआत करनी चाहिए।
उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोग योग का पहले से अभ्यास नहीं कर रहे हैं तो उन्हें पहले यौगिक श्वसन क्रिया तथा नाड़ीशोधन के सरल रूप से शुरूआत करनी चाहिए।

क्या है सही तरीका
पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन या कुर्सी पर रीढ़, गले व सिर को सीधा कर बैठ जाएं। एक गहरी धीमी तथा लंबी सांस अंदर लेते हुए पहले पेट को फुलाएं। उसके बाद सीने को फुलाएं। जब पूरी सांस अंदर भर जाए तो सांस को बाहर निकालना शुरू करें। सांस धीरे-धीरे छोड़ें। निकालते समय सबसे पहले सीने को पिचकाएं तथा अंत में पेट को पिचकाएं। यह यौगिक क्रिया श्वसन का एक चक्र है। शुरूआत में 12 चक्रों का अभ्यास करें। धीरे-धीरे चक्रों की संख्या बढ़ाते जाएं।



