उत्तराखण्ड़ में आज लोक पर्व हरेला की धूम देखी जा रही है। लोक पर्व हरेला प्रकृति पूजन का प्रतीक माना जाता है। उत्तराखंड में हरेले से ही श्रावण मास और वर्षा ऋतु का आरंभ माना जाता है। हरेले के तिनकों को इष्ट देव को अर्पित कर अच्छे धन-धान्य, दुधारू जानवरों की रक्षा और परिवार व मित्रों की कुशलता की कामना की जाती है। प्रदेश सरकार हर वर्ष हरेला पर्व पर वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाती है। सरकार प्रदेश की दो नदियों को पुर्नजीवति करने का प्रयास कर रही है, जिसमें देहरादून की रिस्पना व अल्मोड़ा की कोसी नदी शामिल है, हरेले के दिन इन नदियों के जलागम स्थल व आस पास के क्षेत्रों में वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाया जाता है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आज देहरादून से इस वृक्षारोपण कार्यक्रम की शुरुआत की, उन्होंने रायपुर के अस्थल में स्मृति वन स्थल का उद्धघाटन करने के साथ वृक्षारोपण किया। प्रख्यात जीत सिंह नेगी, कुंमाऊनी लोक गायक हीरा सिंह राणा, ढोलवाद ओंकार दास आदि उत्तराखंड की महान हस्तियों की याद में भी पेड़ लगाए गए।
प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की बधाई व शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने सभी से अनुरोध किया कि वे अपने दिवंगत परिजनों और मित्रों की स्मृति एवं किसी भी शुभअवसर पर एक पौधा अवश्य लगाएं। उन्होंने कहा कि हमें न केवल पौधे लगाने हैं बल्कि इनकी उचित देखभाल भी सुनिश्चित करनी है।
मुख्यमंत्री ने धाद संस्था को उत्तराखण्ड से सम्बन्धित ऐसे लोगों की स्मृति में, स्मृति वन लगाने पर बधाई दी, जिन्होंने उत्तराखण्ड की आंचलिक संस्कृति, बोली भाषाओं के संरक्षण एवं इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इन वृक्षों को सुरक्षित रखना हम सब की जिम्मेदारी है। उन्होंने गाँव के प्रधान एवं क्षेत्रवासियों से इन पौधों के संरक्षण के लिए एक-एक, दो-दो पौधे गोद लेने का भी आह्वान किया। देहरादून में 2 लाख 75 हजार पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा है।