भ्रष्टाचार रोकने के लिए कड़े फैसले लेने वाली उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत सरकार अब निकम्मे-कामचोर अफसरों को बाहर का रास्ता दिखाने वाली है। लंबे वक्त से चर्चा थी कि नकारा अफसरों और जिन अफसरों के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही हैं, उनके खिलाफ सरकार कड़ा एक्शन ले सकती है। ऐसा ही हो भी रहा है। अब सरकार की कोशिश है कि कंपलसरी रिटायरमेंट योजना को प्रभावी बनाया जाए, ताकि निकम्मे और कामचोर अफसरों को सबक सिखाया जा सके। ऐसे कामचोरों की दफ्तर में जरूरत नहीं है, लिहाजा इन्हें कंपलसरी रिटायरमेंट दिया जा सकता है। सूत्रों से तो ये भी खबर मिली है कि भीतरखाने हर विभाग ने ऐसे कर्मचारी-अफसरों की लिस्ट भी तैयार कर ली है, जिन पर गंभीर आरोप लगे हैं। जिन अफसरों पर भ्रष्टाचार का आरोप है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में मीडियाकर्मियों से बात की। इस दौरान वो प्रदेश की अफसरशाही से बेहद खिन्न नजर आए। उन्होंने माना की अफसरों की सुस्ती और नकारेपन की वजह से जनता परेशान हैं। सीएम तक भी ऐसे अफसरों की शिकायतें पहुंच रही है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अब ऐसे अफसरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के मूड में हैं। उन्होंने साफ कहा कि निकम्मे अफसरों के लिए प्रदेश में कोई जगह नहीं है। सीएम ने अफसरों को अल्टीमेटम भी दिया है और कहा है कि वो अपनी कार्यशैली तुरंत सुधार लें, काम को मजाक में ना लें। अफसरों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए सीएम ने कहा कि अधिकारी काम करने के लिए ही होते हैं। ऐसे में उन्हें जो जिम्मेदारी मिली है, उसे वो अच्छी तरह निभाएं। काम चोरी के लिए उन्हें अधिकारी नहीं बनाया गया है। ये पहला मौका है जबकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद अफसरों की कामचोरी की बात स्वीकार कर रहे हैं। इससे पहले मंत्री और विधायक भी कह चुके हैं कि अधिकारी उनकी सुनते नहीं। वन महकमे का जिम्मा संभाल रहे मंत्री हरक सिंह रावत ने तो अपने विभाग के साथ-साथ मुख्यमंत्री ऑफिस के अफसरों तक को सवालों में लपेट लिया था। अब सीएम ने साफ कह दिया है कि ऐसे अफसर या तो अपना रवैय्या सुधारें, वरना उन्हें जबरन रिटायरमेंट दे दिया जाएगा। कुल मिलाकर निकम्मे अफसरों के लिए खतरे की घंटी बज गई है, संभलना है तो संभल जाएं, वरना निकाल दिए जाओगे।