उत्तराखंड परिवहन विभाग की ओर से तैयार किए गए प्रस्तावों पर यदि संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में मुहर लग जाती है तो देहरादून के साथ ही टिहरी, उत्तरकाशी और हरिद्वार जनपद में संचालित दस साल पुराने वाहनों का संचालन बंद हो जाएगा।
देहरादून संभाग में लागू होने के बाद इसे प्रदेश में अन्य जिलों में भी इसे लागू करने का दबाव बढ़ जाएगा। परिवहन विभाग की ओर से इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर संभागीय परिवहन प्राधिकरण को भेज दिया गया है। आरटीओ डीसी पठोई ने बताया कि प्रस्ताव तैयार है, लेकिन संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में चर्चा के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
बता दें कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने साल दर साल खतरनाक हो रहे प्रदूषण से निपटने के लिए सभी राज्य सरकारों को 10 साल पुराने कॉमर्शियल वाहनों के संचालन पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर संभागीय परिवहन प्राधिकरण को भेज दिया गया है।
प्रदेश भर में हैं ढाई लाख से अधिक कॉमर्शियल वाहन
परिवहन प्राधिकरण की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगती है तो न सिर्फ लाखों कॉमर्शियल वाहनों का संचालन ठप हो जाएगा बल्कि इससे जुड़े लाखों परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो जाएगा। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश भर में ढाई लाख से अधिक कॉमर्शियल वाहन संचालित हैं। इनमें अधिकतर वाहन 10 साल से अधिक पुराने हैं।
परिवहन महासंघ विरोध में उतरा, बुलाई आपात बैठक
परिवहन विभाग के इस प्रस्ताव का परिवहन महासंघ ने विरोध शुरू कर दिया है। चारधाम यात्रा संचालित करने वाली 13 कंपनियों ने इस फैसले के खिलाफ आंदोलन का मन बना लिया है। महानगर सिटी बस सेवा महासंघ के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल का कहना है कि इस फैसले का पुरजोर विरोध किया जाएगा। यदि सरकार को इसे लागू ही करना है तो पहले राज्य में सीएनजी, इलेक्ट्रिक बसों की व्यवस्था करनी होगी।
यदि एक तरफा फैसला लेकर इसे लागू किया जाता है तो इससे अराजकता का माहौल बन जाएगा। दूसरी ओर इस फैसले का लाखों लोगों की जिंदगी पर सीधा असर पड़ेगा। इस बाबत शुक्रवार को परिवहन महासंघ की बैठक बुलाई गई है। इसमें तमाम पहलुओं पर चर्चा करने के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।