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सरदार पटेल की जयंती पर होंगे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्रशासित प्रदेश, बदलेगा इतिहास….

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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के साथ प्रशासनिक और अन्य विभागीय स्तर पर व्यवस्थाओं में बदलाव आएगा। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 106 केंद्रीय कानून सीधे तौर पर लागू हो जाएंगे। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पुलिस महकमे में सीआरपीसी के तहत मामले दर्ज होंगे। इससे पहले आरपीसी के तहत यह व्यवस्था थी।

मिजोरम और गोवा की तर्ज पर पुलिस प्रशासन की व्यवस्थाओं में बदलाव होगा। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए कर्मचारियों की कमी बनी है, जिससे जम्मू-कश्मीर से कर्मचारियों को भेजा जाएगा। इसके अलावा पर्यटन, विद्युत ऊर्जा, बागवानी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का रास्ता भी साफ हो जाएगा।

पुनर्गठन के बाद वजूद में आए नये जम्मू-कश्मीर में दशकों से नागरिकता को तरस रहे लाखों लोगों को नई जिंदगी मिलेगी। वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी, वाल्मीकि समाज, गोरखा, दूसरे राज्यों में ब्याही गई जम्मू-कश्मीर की बेटियों को शादी के बाद भी तमाम अधिकार मिलेंगे।

बेटियों को नहीं खोनी पड़ेगी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता-जम्मू-कश्मीर में पहले 35-ए लागू था जिसके तहत यहां की बेटियों की शादी दूसरे राज्य में होने से उन्हें नागरिकता खोनी पड़ती थी। वह अपने स्टेट सब्जेक्ट (नागरिकता प्रमाण पत्र) का इस्तेमाल करके जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने या फिर पैतृक संपत्ति से हक खो बैठती थीं। नये जम्मू-कश्मीर में स्टेट सब्जेक्ट की अनिवार्यता और कानून दोनों खत्म हो गए हैं।

चौथी पीढ़ी में भी नागरिकता नहीं-पीओजेके रिफ्यूजी कैप्टन युद्धवीर सिंह चिब का कहना है कि अनुच्छेद-370 और 35 (ए) से जम्मू-कश्मीर के लोग पहले ही बहुत परेशानी झेल चुके हैं। इसके हटने से उन्हें नई जिंदगी मिली है। उनका कहना है कि जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से कभी भी रिफ्यूजियों के लिए नहीं सोचा गया। यहां पर रिफ्यूजियों की चौथी पीढ़ी तक जन्म ले चुकी है पर वो आज भी यहां के नागरिक नहीं बन पाए हैं। भारत के दूसरे राज्यों में बसे रिफ्यूजियों को नागरिकता के साथ-साथ सभी हक भी मिल चुके हैं। अब सारे हक मिलने की उम्मीद है।

अब दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में रणबीर कानून की जगह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) की धाराएं लागू होंगी। नए जम्मू-कश्मीर में पुलिस व कानून-व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन होगी, जबकि भूमि व्यवस्था की देखरेख का जिम्मा निर्वाचित सरकार के तहत होगी। जम्मू-कश्मीर में सरकारी कामकाज की भाषा अब ऊर्दू नहीं हिंदी हो जाएगी।

नए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 107 सदस्य हैं, जिनकी परिसीमन के बाद संख्या बढ़कर 114 तक हो जाएगी। वहीं, विधायिका में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लिए पहले की तरह ही 24 सीट रिक्त रखी जाएंगी।

बदला 72 साल पुराना इतिहास

केंद्र सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र में मौजूदा साढ़े तीन लाख सरकारी कर्मचारी आने वाले कुछ माह तक मौजूदा व्यवस्था के तहत ही काम करते रहेंगे। गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पांच अगस्त को 72 साल पुराना इतिहास बदलकर अनुच्छेद 370 और 35ए के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधानों को खत्म करने का एलान किया था। इसके मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में पुडुडुचेरी जैसी विधायिका होगी, जबकि लद्दाख बिना विधायिका के चंडीगढ़ जैसा होगा।

150 से ज्यादा पुराने कानून खत्म, 100 से ज्यादा नए कानून लागू, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले 150 से ज्यादा पुराने कानून खत्म हो जाएंगे, जबकि आधार समेत 100 से ज्यादा नए कानून लागू हो गए हैं। लागू कानूनों में आधार, मुस्लिम विवाह विच्छेद, सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, मनरेगा, भ्रष्टाचार निवारक, मुस्लिम महिला संरक्षण और शत्रु संपत्ति शामिल हैं।

106 केंद्रीय कानून हुए लागू-केंद्र शासित प्रदेश बनते ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में संसद की ओर से पारित 106 केंद्रीय कानून तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं। इसमें शिक्षा का अधिकार जैसे महत्वपूर्ण कानून शामिल हैं। इसके अलावा केंद्रशासित प्रदेश बनने पर जम्मू-कश्मीर के 164 प्रदेश स्तर पर बनाए गए कानून खत्म हो गए हैं, जबकि राज्य विधानसभा से पारित 166 कानूनों को यथावत रखा गया है।

ये होंगे अहम बदलाव….

पुलिस: जम्मू कश्मीर में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) का पद कायम रहेगा जबकि लद्दाख में इंस्पेक्टर जनरल (आईजी) पुलिस के मुखिया होंगे। पुलिस केंद्र के निर्देश पर काम करेगी।

हाईकोर्ट:  फिलहाल जम्मू-कश्मीर की श्रीनगर और जम्मू पीठ मौजूदा व्यवस्था के तहत काम करेंगी और लद्दाख के मामलों की सुनवाई भी पहले जैसी ही होगी।

केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल: आनेवाले दिनों में भी इन दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में केंद्र सरकार के निर्देश पर ही केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती होगी।

आयोग: जम्मू कश्मीर और लद्दाख में फिलहाल जो आयोग काम कर रहे थे अब उनकी जगह केंद्र सरकार के आयोग अपनी भूमिका निभाएंगे।

अफसरशाही: आईएएस, आईपीएस और दूसरे केंद्रीय अधिकारियों तथा भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो लेफ्टिनेंट गवर्नर के नियंत्रण में रहेंगे, न कि जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश की निर्वाचित सरकार के तहत काम करेंगे। भविष्य में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में अफसरों की नियुक्तियां अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और संघशासित कैडर से की जाएगी।

केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर के पहले उप-राज्यपाल के रूप में शपथ लेंगे गिरीश चंद्र मुर्मू
गिरीश चंद्र मुर्मू आज जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल के रूप में शपथ लेंगे। मुर्मू बुधवार को श्रीनगर पहुंच गए हैं। श्रीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सलाहकार फारूक खान और मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मन्यम ने मुर्मू का स्वागत किया। 31 अक्तूबर को श्रीनगर में मुर्मू जम्मू-कश्मीर के पहले ले. गवर्नर के तौर पर शपथ लेंगे।

इस अवसर पर गृह विभाग के प्रधान सचिव शालीन काबरा, प्रोटोकाल विभाग के प्रधान सचिव रोहित कंसल, पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह, मंडलायुक्त बशीर अहमद खान आदि अधिकारी मौजूद रहेंगे।