उत्तराखण्ड विधानसभा में बैकडोर से हुई भर्तियों पर समिति की जांच रिपोर्ट के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कड़ा फैसला लेते हुए तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त कर दिया है। 2016 की 150, 2020 की 6, 2021 की 72 भर्तियों को निरस्त किया गया है। विधानसभा भर्ती प्रकरण के संबंध में जांच रिपोर्ट कोटिया जांच समिति द्वारा गुरुवार को देर रात्रि विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण को सौंपी गई थी। जांच रिपोर्ट पर फैसला लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने इन नियुक्तियों को निरस्त कर दिया है साथ ही विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को भी निलंबित कर दिया गया है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा जांच रिपोर्ट वर्ष 2016 तक 150, वर्ष 2020 में 6 नियुक्तियां, वर्ष 2021 में हुई 72 नियुक्तियों को निरस्त करने के लिए शासन को अनुमोदन किया है, इन भर्तियों के लिए न विज्ञप्ति निकली, न सेवायोजन कार्यालय से डिटेल मांगी गई और न ही कोई परीक्षा आयोजित की गई। वर्ष 2011 से पहले की भर्तियां रेगुलर हैं, उस पर भी लीगल राय ली जाएगी। वर्ष 2012 से लेकर 2021 तक नियुक्तियां तदर्थ थी, जिसमें शासन ने नियुक्तियों की आज्ञा दी थी, इसलिए शासन को अनुमोदन के लिए भेजा है।
विधानसभा अध्यक्ष ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा मैं आपको यह जानकारी भी देना चाहती हूँ कि विधानसभा सचिवालय द्वारा वर्ष 2021 में 32 विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के लिये आवेदन पत्र मंगाये गये थे, जिसके लिये इस वर्ष 20 मार्च को लिखित परीक्षा भी आयोजित की गयी थी जिसका परिणाम अभी तक घोषित नहीं हुआ है। इस परीक्षा के लिये लखनऊ की एक प्राईवेट एजेंसी मैसर्स आर०एम०एस० टेक्नोसोल्यूशनस प्रा० लि० का चयन किया गया। इस एजेंसी के कार्यकलाप विवादों में रहे हैं और इस पर पेपरलीक के गंभीर आरोप भी लगे हैं जिसके चलते कम से कम 5 प्रतियोगिता परीक्षा शासन को रदद करनी पड़ी है और अनेक गिरफ्तारियां भी।
विधानसभा सचिवालय में नियमों/प्रावधानों का उल्लघंन करते हुए इस एजेंसी का चयन किया गया है इसमे अनेक वित्तीय अनियमितताएं भी पायी गयी हैं। उपलब्ध जानकारी अनुसार इस एजेंसी को बिल प्राप्त होने के 02 दिन के अन्दर बैंक से 59 लाख रूपये का भुगतान भी जारी कर दिया गया जिसमें विधान सभा सचिव की भूमिका भी संदेहास्पद पायी गयी है। इस परिपेक्ष्य में विधान सभा अध्यक्ष के रूप में मैने यह निर्णय लिया है कि इन 32 पदों पर हुई परीक्षा को निरस्त किया जाता है तथा एजेंसी की भूमिका की जाँच की जाएगी तथा नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। विधान सभा अध्यक्ष के रूप में मैने यह भी निर्णय लिया है कि इस पूरे प्रकरण में विधान सभा सचिव की संदिग्ध भूमिका की जांच की जाए। जांच पूरी होने तक मुकेश सिंघल को तत्काल प्रभाव से निलम्बित किया जाता है, तत्संबंधी आदेश जारी किये जा रहे हैं। जॉच समिति की रिपोर्ट में दी गयी विभिन्न सिफारिशों सुझावों पर कार्रवाई जारी रहेगी।
इसमें विधान सभा सचिवालय में कर्मचारियों/अधिकारियों की right sizing, e-office, evidhan, पदोन्नति तथा सेवा नियमों में सुधार शामिल हैं।