Home अपना उत्तराखंड सिंचाई विभाग में लाखों का घोटाला…

सिंचाई विभाग में लाखों का घोटाला…

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देहरादून: भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टाॅलरेंस का बिगुल बजा चुकी बीजेपी सरकार एक के बाद घपले-घोटाले करने वालों पर कड़ी कार्रवाही कर रही है। सत्ता संभालने के बाद से मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने घपला-घोटाला करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाही के आदेश अधिकारियों को दिये थे। जिसके बाद प्रदेश में एनएच 74, छात्रबृत्ति घोटाले के साथ ही कई अन्य घोटालों को लेकर जांचे चल रही है। वहीं इन घोटालों की जांचो के बीच ही सिंचाई विभाग में भी एक घोटाला सामने आया है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक साल 2014 से 2018 तक सिचाई विभाग में 68.86 लाख के घोटाले का मामला सामने आया है। जांच में सामने आया है कि बिना मेजरमेंट बुक किए और बिना काम कराए ही इस रकम को मिलीभगत कर डकार लिया गया। लाखों रूपये के इस गबन को विभागीय बही और मासिक लेखा में दर्शाया भी नहीं गया। जबकि साल के अंत में विभिन्न मदों में खर्च होने वाली और प्राप्त होने वाली धनराशि का विवरण भेजा जाता रहा। गबन की गई रकम सात खातों में ट्रांसफर की गई थी। जिसमें विभाग के कैशियर शंकर लाल व एक बाबू का भी खाता था। कैशियर के खाते में चैदह लाख से अधिक की धनराशि ट्रांसफर की गई थी। मामले का खुलासा पिछले साल तब हुआ था, जब कैशियर का यहां से तबादला हो गया। नए कैशियर ने जब भुगतान को चेक किया तब हकीकत सामने आई क्योंकि भुगतान तो कर दिया गया था, लेकिन उसका हिसाब कहीं भी दर्ज नहीं था।

कैशियर का तबादला होने के बाद हुआ घपले का खुलासा
इस पूरे घोटाले की सच्चाई का पता लगाने के लिये एक जांच टीम का गठन किया गया। महालेखाकार कार्यालय की 4 सदस्यीय व सिंचाई विभाग के उच्च अधिकारियों की  टीम की जांच में घोटाले की पुष्टि हो गई थी। बीस नवंबर 2018 में जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट शासन को भेज दी गई थी। घोटाले में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता संजय राज, लेखाधिकारी धर्मेंद्र पासवान व कैशियर शंकर राम की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। क्योंकि इन तीनों ने यूजर आईडी, पासवर्ड से बिल बना कर उप कोषागार भेजे थे। वहां से मिली इनवाइस पर सिंचाई विभाग के इन्हीं तीनों अधिकारियों के हस्ताक्षर के बाद धनराशि खातों में ट्रांसफर की गई। सिचाई कार्यमंडल उधम सिंह नगर के अधीक्षण अभियंता पीके दीक्षित ने बताया कि घोटोले की पुष्टि हो चुकी है। जांच रिपोर्ट भी शासन को भेज दी गई थी। गबन में अधिशासी अभियंता, लेखाधिकारी व कैशियर की भूमिका संदिग्ध पाई गई है।

विभागीय जांच के चार महीने बाद अब घोटालेबाजों पर कानूनी कार्रवाई करने के लिए विभागीय अधिकारियों ने मामले की जांच रिपोर्ट पुलिस विभाग को दे दी है। कार्रवाई करने के लिए सीओ सुरजीत कुमार मामले की जानकारी लेने में जुट गए हैं। उम्मीद है कि बहुत जल्द आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई हो जाएगी।