देहरादून: सूबे का नागरिक उड्डयन विभाग चारधाम में हवाई सेवा के संचालन के नाम पर एक के बाद एक नए कारनामे कर रहा है। अधिकारियों के कारनामे हर बार उजागर होने के बावजूद राज्य सरकार खामोश है। विभाग के अधिकारी शासनादेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। हर बार नए विवाद पैदा हो रहे हैं जिसका प्रतिकूल प्रभाव हवाई सेवा की टेण्डर प्रक्रिया पर पड़ रहा है। इस बार भी आगामी 7 मई से चारधाम यात्रा शुरू होनी है लेकिन अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि हवाई सेवा की संचालन कौन कौन सी कम्पनियां करेंगी।
इस बार ताजा विवादा मन्दाकिनी वैली (केदारघाटी) में चार नये हैलीपैड बनाने को लेकर है। दरअसल, वर्ष 2016 में राज्य सरकार की ओर से एक शासनादेश जारी किया गया जिसमें कहा गया कि सुरक्षा की दृष्टि से मन्दाकिनी वैली में एक बार में छह से अधिक हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर सकेंगे और भविष्य में भी इस वैली में कोई नये हेलीपैड निर्माण की अनुमति नहीं दी जायेगी। इसके बावजूद शासन के अधिकारियों की सह पर कुछ निजी कम्पनियों ने मन्दाकिनी वैली में चार हेलीपैड गुपचुप तरीके से बना लिये। यह खेल इसलिए खेला गया ताकि चार नए हेलीपैड बनाने वाली चार नई कम्पनियों को टेण्डर प्रक्रिया में शामिल किया जा सके।
हेलीपैड होने पर ही टेण्डर में शामिल हो सकती है कम्पनी
मन्दाकिनी घाटी में हवाई सेवा के टेण्डर प्रक्रिया में शामिल होने की शर्त यह है कि निजी कम्पनी का इस घाटी में अपनी हेलीपैड होना चाहिए। इस बार चार नई कम्पनियां टेण्डर प्रक्रिया में शामिल हो सकें इसिलए उन्हें अधिकारियों ने मन्दाकिनी वैली में हेलीपैड बनाने की अनुमति दे दी, वो भी शासनादेश की धज्जियां उड़ाकर।
शासन में बैठा एक पॉवरफुल नौकरशाह सवालों के घेरे में हैं। कहा जा रहा है कि इस अधिकारी की शह पर ही नागरिक उड्डयन विभाग में सारे खेल हो रहे हैं। अब इस मामले के हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद इस अफसर को बचाने के पूरे प्रयास शुरू हो गए हैं।
वहीं नागरिक उड्डयन सचिव दिलीप जावलकर का कहना हैकि ‘इस मामले में मुख्यमंत्री से अनुमति ली गई है। चार पुराने हेलीपैड रोड बाइंडिंग में आ रहे हैं इसलिए ऐसा किया गया। बाकी सवालों का जवाब हमें हाईकोर्ट में देना है, वहीं दिया जाएगा’।
आभार – दीपक फर्स्वाण