
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को कोविड-19 के संबंध में बैठक करते हुए उत्तराखण्ड में होम-आइसोलेशन हेतु निर्देशित किया था। उन्होंने निर्देश देते हुए कहा था कि डाॅक्टरों की टीम की जांच एवं मानकों के हिसाब से ही होम-आइसोलेशन की व्यवस्था की जाय। मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद आज सचिव अमित नेगी ने इस संबंध में गाइडलाइन जारी कर दी है।
गाइड लाइन के अनुसार ऐसे मरीज होम आसोलेशन में रह सकते हैं, जिन्हें डॉक्टर द्वारा लक्षणरहित रोगी के रूप में चिन्हित किया गया हो।
24 घंटे रोगी की देखभाल करने के लिए देखभाल करने वाला एक व्यक्ति उपलब्ध हो।
संपूर्ण आइसोलेशन अवधि के दौरान देखभाल करने वाले व्यक्ति एवं संबंधित चिकित्सालय के मध्य संपर्क बनाए रखना होम आइसोलेशन के लिए प्रमुख अनिवार्यता है।
ऐसे रोगी के निवास पर स्वंय को आइसोलेट करने एवं परिजनों को क्वारंटीन करने की सुविधा उपलब्ध हो। घर में रोगी के लिए एक शौचालय युक्त कक्ष एवं उसकी देखभाल कर्ता के लिए एक अतिरिक्त शौचालय युक्त कक्ष अनिवार्य रूप से होना चाहिए। यदि परिवार में रोगी और देखभाल कर्ता के अतिरिक्त अन्य व्यक्ति भी हैं तो उनके लिए एक और शौचालययुक्त कक्ष होना अनिवार्य है।
ऐसे रोगी जिनकी आयु 60 वर्ष से अधिक है य़ा अन्य बीमारी से ग्रसित हैं, गर्भवती महिलाएं, 10 साल से कम आयु के बच्चे अथवा ऐसे रोगी जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता किसी कारणवश (एच. आई. वी./ अंग प्रत्यारोहित/ कैंसर का उपचार प्राप्त करने वाले) कमजोर हो वे होम आइसोलेशन के लिए पात्र नहीं होंगे।