प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों में अब एक समान मानक लागू होंगे। वे चाहे कुलपति की नियुक्ति से संबंधित हों या फिर शिक्षकों की। ठीक इसी तरह सरकारी विश्वविद्यालयों में भी समान रूप से मानकों को लागू किया जाएगा।
सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के लिए अलग-अलग अंब्रेला एक्ट का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। 18 नवंबर को होने वाली कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को रखा जा सकता है। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी विश्वविद्यालयों में एक समान मानकों को लागू किया जा सके।
इसके लिए ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। जिसमें यूजीसी रेग्युलेशन 2018 के अनुसार नियुक्ति संबंधी मानकों को समस्त विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में समान रूप से लागू किया जाएगा। इससे महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के साक्षात्कार के लिए चयन संबंधी मापदंड बदल जाएंगे।
नियुक्तियों और मनमाने शुल्क पर रोक लगेगी
इस पद के लिए स्नातक में 80 फीसदी अंक वाले अभ्यर्थी को 21 अंक, 60 से अधिक और 80 से कम वाले को 19 अंक, 55 से अधिक और 60 से कम वाले को 16 एवं 45 प्रतिशत से अधिक व 55 प्रतिशत से कम अंक वाले अभ्यर्थी को 10 अंक मिलेंगे।
इसके अलावा पीएचडी अभ्यर्थी को 25 अंक मिलेंगे। कुल सचिव की नियुक्ति संबंधी मानक भी इसी के अनुसार समान रूप से सभी विश्वविद्यालय में लागू होंगे। इसके अलावा निजी विश्वविद्यालयों में भी नियुक्तियों के मानकों को लेकर मनमानी नहीं हो सकेगी।
यहां भी नियुक्तियों और मनमाने शुल्क पर रोक लगेगी। उच्च शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि निजी और सरकारी विश्वविद्यालयों में अंब्रेला एक्ट को लेकर अलग-अलग ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है।
सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के लिए अलग-अलग अंब्रेला एक्ट का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। प्रयास किया जा रहा है कि इसे कैबिनेट में लाए जाने के बाद लागू किया जाए।
– डा.धन सिंह रावत, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री