कोरोना वायरस महामारी व लॉकडाउन के कारण अन्य राज्यों से लाखों की संख्या में प्रवासी उत्तराखण्ड लौटे हैं। कोरोना वायरस ने लोगों को इतना परेशान कर दिया कि कुछ प्राइवेट नौकरी, तो कुछ जमा-जमाया काम छोड़कर वापस उत्तराखंड लौट आए। प्रवासियों के वापस लौटने से पहाड़ों में बंद पड़े घरों के ताले भी खुल गए। अब इन्हीं घर लौटे प्रवासियों को उत्तराखंड सरकार भीउम्मीद भरी नजर से देख रही है, सरकार चाहती है कि मजबूरी में वापस आए ये लोग उत्तराखंड में ही अपना रोजगार करें, ताकि इनका जीवनयापन भी हो सके और पलायन की मार झेल रहे पहाड़ी जिलों में लोग बने रहें। सरकार ने इसके लिए बाकायदा मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना लॉन्च की है, इस योजना में 10 लाख और 25 लाख तक के लोन सब्सिडी के साथ मिलेंगे।
उत्तराखण्ड लौटे प्रवासियों से सजग इंडिया के संपादक एडवोकेट ललित मोहन जोशी ने पहाड़ में रहकर में रहकर स्वरोजगार के माध्यम से अपनी देवभूमि को संवारने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी ने देवभूमि उत्तराखण्ड को एक बार फिर से मजबूत स्तंभ बनाने का मौका दिया है। उन्होंने कहा कि आज कोरोना महामारी से लाखों लोग परेशान हैं, लेकिन हमें इसे पहाड़ों के लिए एक अवसर के तौर पर देखते हुए अपनी मिट्टी से जुड़कर पलायन के दंश को खत्म करना है। उन्होंने कहा कि महानगरों से लौटे हमारे प्रवासी भाई-बहनों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, अपनी प्रतिभा की बदौलत ही वह कई क्षेत्रों में बड़े मुकाम तक पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ संसाधनों से भरे हैं, आवश्कता है कि इन संसाधनों का प्रयोग कर पहाडों में ही लघु व कुटीर उद्योग खोले जाएं, जिससे पलायन पर रोक तो लगेगी ही हमारे विरान पड़े गांवों में फिर से रौनक लौटेगी। उन्होंने उत्तराखण्ड़ लौटे प्रवासियों से अपील करते हुए कहा कि अपनी इच्छा शक्ति से एकजुट होकर अपनी प्रतिभा से पहाड़ों में स्वरोजगार अपनाएं और देवभूमि उत्तराखण्ड को फिर से एक नई दिशा दें।