16 दिसंबर 2012 की रात को देश की एक बेटी के साथ हुई दरिंदगी के बाद उसका इलाज करने वाले डॉक्टर हालत देखकर अंदर तक दहल गए थे।निर्भया के दरिंदों को फांसी की सजा होने की बात सुनकर उसका इलाज करने वाले डॉक्टर विपुल कंडवाल खुश हैं। उनका कहना है कि दिल भारी है, लेकिन सुकून है कि बेटी को इंसाफ मिला।उन्होंने कहा कि हमारे देश की जनसंख्या काफी है जिसके कारण फैसला आने में देर हुई पर हमें अपने कानून व्यवस्था पर पूरा भरोसा है, आज उसकी आत्मा को शांति मिली होगी इस फैसले से मैं काफी खुश हूं क्योंकि उसका जो हाल इन दरिंदो ने किया था वो बताया भी नही जा सकता है।
पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले के चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी कर दिया। इसके मुताबिक 22 जनवरी सुबह 7 बजे निर्भया के गुनहगारों को तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा। इस फैसले के बाद तिहाड़ में दोषियों की निगरानी बढ़ा दी गई है।
निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले के दोषी विनय शर्मा ने अपनी सजा को माफ करने को लेकर दया याचिका भेजी थी। लेकिन बाद में इस पर विवाद हो गया। विनय शर्मा ने अपने वकील के मार्फत राष्ट्रपति के पास एक याचिका भेजकर गुजारिश की कि उन्होंने कोई दया याचिका नहीं लगाई है। ऐसे में गृह मंत्रालय की ओर से भेजी गई दया याचिका उसे वापस की जाए। जेल प्रशासन की ओर से विनय की दया याचिका को राष्ट्रपति के पास भेजा गया था।
तिहाड़ जेल ने फांसी घर की सुरक्षा की जिम्मेदारी तमिलनाडु स्पेशल टीम को सौंप दी है। इसके आस पास कैदियों को वहां जाने की इजाजत नहीं है। साथ ही वहां जाने वाले जेल कर्मचारियों की पूरी तरह से जांच कर जाने दिया जा रहा है। जेल सूत्रों के अनुसार निर्भया के गुनहगार के अकेले घुमने पर उनकी निगरानी रखी जाएगी। हर दोषी के साथ तमिलनाडु पुलिस का एक जवान हर वक्त रहेगा। जेल अधिकारियों का कहना है कि यह सब जेल मैन्यूअल के मुताबिक की जा रही है।
ब्लैक वारंट जारी होते ही अब जेल के फांसी घर में फंदा पर लटकाने का अभ्यास जारी हो जाएगा। इसके तहत फांसी दिए जाने वाले दोषी के वजन के मुताबिक डमी को तैयार किया जाएगा और फिर उसे फांसी पर लटकाने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसका मकसद फांसी दिए जाने वाली रस्सी की जांच करने के साथ साथ किसी भी तरह की गड़बड़ी को दूर करना है।