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ऋषिकेश: थ्री लेन होगा नया लक्ष्मणझूला पुल, पर्यटकों को देखने को मिलेगी केदारनाथ मंदिर की झलक…

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उत्तराखंड में ऋषिकेश के नए लक्ष्मणझूला पुल पर पर्यटकों को केदारनाथ मंदिर की झलक देखने को मिलेगी। देहरादून की टेक इंस्ट्रक्चरल कंसलटेंट कंपनी ने झूला पुल की संरचना का खाका तैयार कर लिया है।कंपनी के डिजाइनर पीके चमोली ने बताया कि इस माह के अंत तक नये झूला पुल की कुल लागत निकालकर इसकी रिपोर्ट लोक निर्माण विभाग को भेजे जाने की उम्मीद की जा रही है। अनुमानित लागत करीब 40 करोड़ है। लोक निर्माण विभाग नरेंद्रनगर ने नये लक्ष्मणझूला पुल के निर्माण के लिए कवायद शुरू कर दी है।

शासन ने लोक निर्माण विभाग को महाकुंभ शुरू होने से पूर्व नये झूला पुल के निर्माण के लिए विशेष रूप से निर्देशित किया है। इसके लिए लोक निर्माण विभाग नये झूला पुल के लिए पूरी तरह से तैयारियों में जुटा हुआ है। पुल के डिजाइन का जिम्मा डिजाइन टेक इंस्ट्रकचरल कंसलटेंट कंपनी को सौंपा गया है।

पुल के डिजाइनर पीके चमोली ने बताया है कि लक्ष्मणझूला पुल का डिजाइन पर्यटकों की आस्था को ध्यान में रखकर बनाया गया है, साथ ही इसमें मजबूती का विशेष ध्यान रखा गया है। उन्होंने बताया कि लक्ष्मणझूला पुल पर पर्यटकों को केदारनाथ मंदिर की झलक देखने को मिलेगी। केदारनाथ मंदिर 100 फीट ऊंचा होगा। झूला पुल पर चलने वाले वाहन मंदिर के अंदर से होकर आवाजाही करेंगे।

थ्री लेन का होगा नया लक्ष्मणझूला पुल
नया लक्ष्मणझूला पुल थ्री लेन का होगा। इसमें दोनों किनारों से पैदल यात्रा और बीच से वाहनों की आवाजाही की जा सकेगी। पुल के डिजाइनर चमोली ने बताया कि 130 मीटर लंबे झूला पुल में पैदल साइड की चौड़ाई 6 फीट और बीच मार्ग की चौड़ाई 8 फीट रखी गई है। बीच वाले मार्ग पर छोटा चौपहिया वाहन भी जा सकेगा।
नये लक्ष्मणझूला पुल पर केदारनाथ मंदिर के दोनों किनारों पर लिफ्ट लगेगी। इसमें बैठकर 20 मीटर ऊपर मंदिर के शीर्ष छोर तक पहुंचा जा सकेगा। यहां से दूरबीन के माध्यम से ऋषिकेश को निहारा जा सकेगा। डिजाइन में पुल की मजबूती के साथ आस्था का बेहतरीन समन्वय बनाने की कोशिश की गई है।

पैदल मार्ग के डेक पर लगेगा कांच
पीके चमोली ने बताया कि झूला पुल पर पैदल यात्रा के लिए बनाए जाने वाले दोनों छोर के डेक पर कांच लगाया जाएगा। दोनों किनारों पर बनने वाले फुट पाथ (डेक) के दोनों ओर तीन-तीन फुट चौड़ाई में कांच लगाए जाएंगे। डिजाइनर के मुताबिक पूरी संरचना शासन को भेजी जाएगी। इसमें यदि शासन चाहे तो फेरबदल भी कर सकता है।

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