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क्या उत्‍तराखंड को मिल सकता है वनभूमि हस्तांतरण का अधिकार ?

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देहरादून : मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से भेंट कर उत्तराखंड में वन भूमि हस्तांतरण में पांच हेक्टेयर तक की स्वीकृति प्रदान करने का अधिकार राज्य सरकार को देने की पैरवी की। साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की परियोजनाओं में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के लिए डिग्रेडेड फारेस्ट लैंड को अनुमन्य किया जाए।

सोमवार को मुख्यमंत्री ने नई दिल्ली में केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से भेंट के दौरान कैंपा के अंतर्गत 2019-20 की वार्षिक कार्ययोजना को अनुमोदित करने और रेंजर्स कालेज मैदान की रिक्त भूमि को राज्य सरकार को हस्तांतरित करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण कार्यों की तात्कालिकता, चारधाम ऑलवेदर रोड, पीएमजीएसवाई, ग्रामीण विद्युतीकरण आदि महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के लिए वन भूमि हस्तांतरण विषयों पर जल्द निर्णय लिए जाने की आवश्यकता होती है। इसलिए पांच हेक्टेयर तक के प्रकरणों में स्वीकृति का अधिकार राज्य सरकार को दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बीआरओ की सड़क परियोजनाओं, केंद्र सरकार व केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की परियोजनाओं के लिए क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण, डिग्रेडेड फारेस्ट लैंड पर किए जाने की अनुमति प्रदान की गई है लेकिन केंद्र पोषित परियोजनाओं व राज्य सरकार की समस्त परियोजनाओं में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के लिए दोगुनी मात्रा में सिविल भूमि की अनिवार्यता की गई है। राज्य में अधिकांश भाग वनाच्छादित व पर्वतीय है। यहां सिविल भूमि की सीमितता को देखते हुए केंद्र पोषित, बाह्य सहायतित व राज्य पोषित समस्त परियोजनाओं के लिए भी डिग्रेडेड फारेस्ट लैंड पर क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण की अनुमति प्रदान की जाए। उन्होंने उत्तराखंड सरकार द्वारा केंद्र के प्रावधानों के अनुसार एक हजार मीटर से ऊपर स्थित प्रौढ़ वृक्षों के पातन की अनुमति दिए जाने का भी अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व में विभिन्न औद्योगिक गतिविधियों पर वाटर सेस एकत्र कर केंद्र सरकार के कोष में जमा किया जाता था, जिसका 80 प्रतिशत राज्य प्रदूषण बोर्ड को उपलब्ध कराया जाता था लेकिन जीएसटी एक्ट के बाद यह व्यवस्था समाप्त हो गई है। इससे राज्य सरकार को औसतन 3.25 करोड़ रुपये की वार्षिक आय बंद हो गई है। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार राज्य के पांच शहरों में नियमित एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन, एनवायरमेंटल डाटा सेंटर व एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग के लिए 142 अतिरिक्त स्टेशन स्थापित करने में 20 करोड़ की लागत संभावित है। यह राशि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाए।

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