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जल संस्थान प्रदेश के पंप हाउसों में लगाने जा रहा है ऑटोमेटेड क्लोरीन डोजर, दूनवासियों को मिलेगा शुद्ध पानी…

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अब जल संस्थान के पानी में क्लोरीन की मात्रा कम-ज्यादा होने की परेशानी नहीं होगी। जल संस्थान प्रदेश के पंप हाउसों में ऑटोमेटेड क्लोरीन डोजर लगाने जा रहा है।अब जल संस्थान के पानी में क्लोरीन की मात्रा कम-ज्यादा होने की परेशानी नहीं होगी। जल संस्थान प्रदेश के पंप हाउसों में ऑटोमेटेड क्लोरीन डोजर लगाने जा रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर राजधानी देहरादून में तीन और कुमाऊं के रामनगर में ये डोजर लगाए जाएंगे। प्रोजेक्ट सफल होने पर समूचे प्रदेश में ऑटोमेटेड क्लोरीन डोजर लगाए जाएंगे।

जल संस्थान पानी की आपूर्ति करने से पहले उसे शुद्ध करने के लिए क्लोरीन फीड करता है। यह क्लोरीन मैनुअल फीड की जाती है। इधर, बीआइएस की रिपोर्ट आने के बाद पानी को शुद्ध करने के लिए जल संस्थान और सतर्कता बरतने जा रहा है। जल संस्थान की अब पंप हाउसों में ऑटोमेटेड क्लोरीन डोजर लगाने की योजना है। इस डोजर में लगी मशीन पानी की खुद-ब-खुद जांच कर लेती है कि पानी को कितनी क्लोरीन की जरूरत है और उसी आधार पर पानी में क्लोरीन की मात्रा की आपूर्ति की जाएगी।

इसमें मैनुअल फीड करने का झंझट खत्म होगा। ऑटोमेटेड क्लोरीन डोजर की कीमत करीब पांच लाख रुपये है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 20 लाख रुपये से चार डोजर लगाए जाएंगे। ये डोजर राजधानी देहरादून के जल संस्थान मुख्यालय, पुरकुल, शहंशाही के अलावा कुमाऊं के रामनगर डिविजन में लगाए जाएंगे। इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। उम्मीद है कि नए साल में डोजर लग जाएंगे।

  • पानी की जरुरत के अनुसार क्लोरीन की सटीक मात्रा फीड होगी।
  • ऑटोमेटेड होने से मैनुअल करने का झंझट खत्म होगा
  • जब जरुरत नहीं होगी, तो मशीन खुद-ब-खुद बंद हो जाएगी।
  • दूनवासियों को शुद्ध पानी की आपूर्ति होगी।

मैनुअल में पंप हाउस में मशीन में लिक्विड क्लोरीन भर दी जाती है। फिर जितनी क्लोरीन पानी में मिलानी है, उसकी मात्रा मशीन में फीड कर देते हैं। इसकी जल संस्थान कर्मी नियमित निगरानी करते हैं। इस तरह पानी में क्लोरीन तो फीड हो जाती है, लेकिन कम-ज्यादा होने की आशंका बनी रहती है।