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हरीश रावत की चुटकी के बाद अपने ही बयान पर सफाई देते नजर आए मुख्यमंत्री।

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राष्ट्रीय विकास दर (जीडीपी) में गिरावट के बीच उत्तराखंड की जीडीपी पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का बयान सुर्खियों में है। मुख्यमंत्री ने कहा था कि प्रदेश की जीडीपी में 32 फीसदी का इजाफा हुआ है। जबकि राज्य की जीडीपी 6.87 फीसदी है। उनके इस बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चुटकी लेते हुए कहा कि जिस केलक्यूलेटर से मुख्यमंत्री द्वारा जीडीपी निकाली गई मैं उसे ढूंढ रहा हूं।यदि मिल जाए तो उस केलक्यूलेटर को पीएम नरेंद्र मोदी व वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को भेजूंगा। क्या पता इस केलक्यूलेटर से देश की जीडीपी भी बढ़ जाए। साथ ही कहा कि यदि जीडीपी वाकई में इतनी बढ़ी है तो राज्य में प्रति व्यक्ति वार्षिक औसत आय साढ़े पांच लाख होनी चाहिए। मगर, राज्य में प्रति व्यक्ति औसत आय एक लाख 75 हजार रुपये पर स्थिर है।उन्होंने कहा मुख्यमंत्री ये बताएं कि वह कौन सा जादू है जिससे राष्ट्रीय स्तर पर जीडीपी गिरावट का असर राज्य पर बिलकुल नहीं पड़ रहा। अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने जीड़ीपी वाले बयान पर सफाई देते हुए कहा है कि वे त्रुटिवश जीडीपी बोल गए थे, जबकि उनका आशय एसजीएसटी से था। बहरहाल, जहां तक एसजीएसटी की दर का सवाल है तो यह तथ्य सही है कि इसमें 32 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। लेकिन जीडीपी की हकीकत उतना उत्साहित करने वाली नहीं है, यह 6.87 फीसदी है।अलबत्ता राज्य की कंपाउंड एनुवल ग्रोथ 13.93 (14) प्रतिशत की दर से जरूर बढ़ रही है। बीच के वर्षों में इस वृद्धि दर ने 18 फीसदी के आंकड़े को भी छुआ है।
उत्तराखंड की जीडीपी का सच यह है कि अग्रिम अनुमानों के हिसाब से 2018-19 में आर्थिक विकास दर 6.87 प्रतिशत है। प्रदेश सरकार की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार  वर्ष 2017-18 में जीडीपी की अनंतिम दर 6.82 प्रतिशत थी। पिछले करीब आठ वर्षों के दौरान वित्तीय वर्ष 2013-14 में आर्थिक विकास दर 8.47 प्रतिशत आंकी गई थी। वर्ष 2013 में प्राकृतिक आपदा से ये गिरकर 5.29 फीसदी रह गई। हालांकि पुनर्निर्माण कार्यों में तेजी आने के बाद ये 8.08 फीसदी तक बढ़ी।लेकिन अगले वित्तीय वर्ष में ये 5.91 फीसदी गिर गई। पिछले दो साल से विकास दर का आंकड़ा बेहद मामूली रूप से बढ़ता दिखाई दे रहा है।
जीएसटी लागू होने से पहले प्रदेश में मूल्य वर्धित कर प्रणाली (वैट) लागू थी। वर्ष 2016-17 में वैट से प्रदेश सरकार को सालाना 70133 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ।एक जुलाई 2017 से प्रदेश में जीएसटी लागू होने से तात्कालिक रूप से सरकार को इसमें राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन इसकी भरपाई केंद्र ने प्रतिपूर्ति के रूप में की। 2017-18 जून तक 15120 करोड़ रुपये का जीएसटी अर्जित किया। लेकिन राज्य सरकार के हिस्से में 5500 करोड़ आया। 2018-19 और 2019-20 में जीएसटी से प्राप्त राजस्व की दर में 32 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। जब राज्य बना तो कुल सकल घरेलू उत्पाद  14,5001 करोड़ रुपये था और प्रतिव्यक्ति आय 15,286 रुपये थी। 2018-19 में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद बढ़कर 2,45,8995 रुपये और प्रतिव्यक्ति आय 1,98,738 रुपये हो गई।