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हल्द्वानी- दर्द से तडपते 18 माह के मासूस को देखकर भी नहीं आया डॉक्टरों को रहम, इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकते रहे परिजन।

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उत्तराखण्ड के हल्द्वानी शहर में बेहतर उपचार मिलने की उम्मीद में न केवल नैनीताल जनपद के लोग ही पहुंचते हैं, बल्कि पूरे कुमाऊं मण्डल के लोग भी यहां आते हैं। लेकिन प्रदेश की खस्ताहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का खामियाजा उन्हें यहां आकर भी भुगतना पड़ता है। यहां अस्पताल मरीज को तुरंत इलाज देने के बजाय एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल रैफर करने का खेल खेलते रहे हैं।

अब ऐसा ही मामला हल्द्वानी से फिर सामने आया है, जहां एक पिता अपने 18 माह के मासूम को गोद में लेकर अस्पताल दर अस्पताल भटकता रहा लेकिन हर जगह कोई न कोई वजह बताकर बच्चे को भर्ती करने से मना कर दिया गया। निराश परिजन बच्चे को उपचार के लिए भोजीपुरा स्थित अस्पताल ले गए, जहां उसकी हालात स्थिर बताई जा रही है।

मामले के अनुसार नैनीताल ब्लॉक के बजून गांव निवासी पूरन सिजवाली के 18 माह ने बृहस्पतिवार सुबह करीब 10 बजे घर में रखे कीटनाशक को गलती से पी लिया। उसकी हालात खराब हुई तो परिजनों उसे लेकर फौरन नैनीताल स्थित बीडी पांडे अस्पताल पहुंचे। प्राथमिक उपचार देने के बाद डॉक्टरों ने शीघ्र हल्द्वानी जाने की सलाह दी। परिजन हल्द्वानी आए और गुरुनानकपुरा स्थित निजी अस्पताल मासूम को लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने पहले उपचार के लिए हामी भरी फिर मना कर दिया गया। वहां से परिजन गैस गोदाम चौराहा स्थित अस्पताल आए, जहां बाल रोग विशेषज्ञ नहीं होने की बात कहते हुए इलाज के लिए मना कर दिया गया।

मासूम की हालत बिगड़ती देख परिजन मासूम को लेकर दो और निजी अस्पतालों में ले गए लेकिन यहां भी इलाज के लिए मना कर दिया। बच्चा पिता की गोद में दर्द से तड़पता रहा, लेकिन किसी भी डॉक्टर का दिल नहीं पसीजा। एक परिचित की सलाह पर मासूम को भोजीपुरा स्थित राम मूर्ति अस्पताल लेकर पहुंचे जहां बच्चे की हालत स्थिर बनी हुई है।