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स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों को बदनाम करने हेतु फर्जी पत्र वायरल…

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देहरादून के निजी नर्सिंग शिक्षण संस्थान साईं इंस्टीटयूट के एक फर्जी शिकायती पत्र वायरल होने से प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। इस फर्जी पत्र में स्वास्थ्य निदेशालय और चिकित्सा शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों को भी निशाना बना गया है। इसके अलावा कुछ निजी संस्थानों पर भी सवाल उठाए गये हैं। यह पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय समेत कई प्रमुख हस्तियों को भेजा गया है। इस पत्र के संबंध में साईं नर्सिंग कालेज के निदेशक हरीश अरोड़ा का कहना है कि पत्र पूरी तरह से फर्जी है। इस पर हस्ताक्षर भी नहीं है। उनका आरोप है कि कुछ शरारती तत्व उनके संस्थान को बदनाम करना चाहते हैं। इसके तहत ही यह फर्जी पत्र भेजा गया है।

उत्तराखण्ड में अपने गलत कार्यों को कराने के लिए असामाजिक व शरारती तत्वों द्वारा अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश की जाती रही है, अब ऐसा ही एक और मामला देहरादून से सामने आया है, जहां एक निजी नर्सिंग कॉलेज के नाम से फर्जी पत्र बनाकर चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को रिश्वत के रूप में धनराशि दिए जाने का उल्लेख किया गया है। इस पत्र के प्रसार हेतु वेब मीडिया का भी सहारा लिया गया है और कुछ न्यूज पोर्टलों द्वारा संस्थान निदेशक के पक्ष को जाने बिना ही न्यूज प्रकाशित की गई है।

सोशल मीडिया में फर्जी पत्र वायरल होने की जानकारी मिलने के बाद सांई कॉलेज ऑफ नर्सिंग देहरादून के निदेशक हरीश अरोड़ा द्वारा उक्त फर्जी वॉयरल पत्र का खंडन करते हुए एक शपथ पत्र सचिव स्वास्थ्य एवं निदेशक चिकित्सा शिक्षा को देते हुए कहा है कि मेरे द्वारा ऐसा कोई पत्र जो भारत के मा. प्रधानमंत्री को संबोधित हो तथा अन्य प्राधिकारियों को प्रतिलिपि के रूप में प्रेषित किया गया है, नहीं दिया गया है। और मेरी ओर से प्रेषित उक्त फर्जी पत्र पर ना तो कोई हस्ताक्षर हैं और ना ही इसमें लिखे तथ्यों के संबंध में मुझे कोई जानकारी है।

देखें शपथ पत्रSep 15, Doc 1

फर्जी पत्र का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ अराजक तत्वों द्वारा मेरे नाम का इस्तेमाल कर चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ हमारे संस्थान एवं उत्तराखंड के एक अन्य प्रतिष्ठित संस्थान की छवि धूमिल करने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले पर अज्ञात के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने के साथ ही मेरे पक्ष जाने बिना खबर प्रकाशित करने वाले न्यूज पोर्टलों को कानूनी नोटिस भेजने की कार्रवाई कर रहे हैं। ताकि इस तरह से किसी की भी विभाग या निजी संस्थान की छवि धूमिल ना की जा सके।