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धरती माता का महत्व समझे युवा-डॉ. विजय धस्माना, सीआईएमएस कॉलेज में हिमालय दिवस के अवसर पर ‘‘आपदा प्रबन्धन में जन सहभागिता की भूमिका’’ विषय पर कार्यक्रम का आयोजन….

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उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) देहरादून एवं सी. आई. एम. एस. कॉलेज देहरादून के संयुक्त तत्वाधान में शुक्रवार को हिमालय दिवस-2023 के अवसर पर ‘‘आपदा प्रबन्धन में जन सहभागिता की भूमिका’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में संस्थान के चेयरमैन एडवोकेट ललित जोशी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुये कहा कि हिमालय दिवस के अवसर पर हम सभी को हिमालय की रक्षा की प्रतिज्ञा लेनी होगी तभी हमारा पर्यावरण सुरक्षित होगा। उन्होंने कहा कि आज विद्यार्थियों की भूमिका पर्यावरण के संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण है। उनके संस्थान में प्रत्येक सप्ताह प्लास्टिक उन्मूलन कार्यक्रम संचालित किया जायेगा।

यूसर्क की निदेशक प्रोफेसर (डॉ0) अनीता रावत ने अपने सम्बोधन में कहा कि हिमालय की अस्मिता एवं अक्षुण्णता के लिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से समाज के प्रत्येक अंगों की भागीदारी एवं सहयोग सुनिश्चित करना होगा। प्रो. रावत ने कहा कि ऐसी शिक्षा को बढ़ावा देना होगा जो प्रकृति की अखण्डता एवं प्रकृति का सममान करें। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकी के संरक्षण एवं संवर्धन की आवश्यकता को आत्मसात करते हुए हमें परंपरागत ज्ञान एवं अपनी संस्कृति के समावेश से पर्यावरणीय आचार-विचार एवं परंपरागत समाज के मूल्यों को पुनः स्थापित करना होगा।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, देहरादून के कुलाधिपति डॉ. विजय धस्माना ने अपने सम्बोधन में कहा कि धरती हमारी माता है, जिसकी रक्षा की जिम्मेदारी हम सभी की है। हिमालयी क्षेत्रों के प्राचीन गांव, कृषिव्यवस्था, जीवन शैली एवं भवन निर्माण की शैली आदि सभी कुछ पर्यावरण के अनुकूल ही था लेकिन वर्तमान विकास के युग में इन सभी पद्वतियों में व्यापक रूप से परिवर्तन हुआ है जो कि पर्यावरण के प्रतिकूल है। हमें प्रकृति से ही उतना ही लेना है जितने की आवश्यकता हो। डॉ. धस्माना ने कहा कि भारतीय संस्कृति से ही विज्ञान की उत्पत्ति हुई है। अतः हमें विज्ञान के साथ-साथ अपनी संस्कृति एवं संसाधनों का संरक्षण करना होगा। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक, पॉलीथिन इत्यादि कचरे को कूडे़दान इत्यादि में ही फेंकना चाहिये तथा पर्यावरण अनुकूल व्यवहार करना होगा तभी हिमालय और धरती की रक्षा हो सकेगी।

कार्यक्रम में यूसर्क वैज्ञानिक डॉ. ओम प्रकाश नौटियाल ने कहा कि हिमालय हमें दृढ़ता से अपने कर्तव्य पथ पर डटे रहने का संदेश देता है। यदि हम अपनी आवश्यकताओं व उपभोगतावादी महत्वाकांक्षाओं को सीमित रखते हुए सतत विकास को गति प्रदान करने में सफल हो पायेंगे, तो हमारी ये धरती भी बचेगी, हिमालय भी सुरक्षित रहेगा तथा हम आपदाओं से स्वयं की सुरक्षा करने में भी सक्षम हो पाएंगे।
कार्यक्रम में संस्थान के छात्र-छात्राओं द्वारा हिमालय के संरक्षण विषय पर भाषण, कवितायें, गीत एवं नुक्कड़ नाटक आदि प्रस्तुत किये गये।

कार्यक्रम में यूसर्क वैज्ञानिक डॉ भवतोष शर्मा, डॉ. राजेन्द्र सिंह राणा, सी. आई. एम. एस. संस्थान के प्रबन्ध निदेशक संजय जोशी, प्रशासनिक अधिकारी मेजर ललित सिंह, प्राचार्या डॉ. सुमन वशिष्ठ , उप प्राचार्य रवींद्र झा, कार्यक्रम संचालक शिवानी बिष्ट एवं शिक्षकगणों सहित 300 से अधिक छात्र-छात्राओं द्वारा प्रतिभाग किया गया।