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धनतेरस; 100 साल बाद बना महासंयोग, सोने-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदना है शुभ….

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धनतेरस का त्योहार इस साल 25 अक्तूबर को मनाया जाएगा. हिन्दू धर्म की मान्याताओं के अनुसार इस शुभ दिन मां लक्ष्मी घर आती हैं और सब पर अपनी कृपा बरसाती हैं. धनतेरस के दिन खरीदारी करने का बड़ा महत्व होता है. इस दिन घर में चांदी के आभूषण या पीतल के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. इस बार धनतेरस के दिन 100 साल बाद अजब संयोग बन रहा है.

आइए पहले आपको बताते हैं कि धनतेरस पर पूजा और खरीदारी का शुभ मुहूर्त क्या है. दोपहर 12.00 से 01.30 के बीच में खरीदारी करने के योग बन रहे हैं. इसके बाद आप रात 09.00 से 10.30 के बीच खरीदारी कर सकते हैं. इसी समय में पूजन करना भी शुभ होगा. सुबह 10.30 से 12.00 के बीच पूजन और खरीदारी करने से बचें.

धनतेरस पर मनोकामना के अनुरूप खरीदारी करने से लाभ मिलेगा. आर्थिक लाभ के लिए पानी का बर्तन खरीदना उचित रहेगा. कारोबार में विस्तार और उन्नति के लिए धातु का दीपक खरीदें. संतान संबंधी समस्या के लिए थाली या कटोरी की खरीदारी करें. स्वास्थ्य और आयु के लिए धातु की घंटी खरीदना शुभ रहेगा. घर में सुख शांति और प्रेम के लिए खाना पकाने का कोई भी बर्तन खरीद सकते हैं.

धनतेरस पर धनवंतरि देव की पूजा होती है. इनको आयुर्वेद का आचार्य भी कहा जाता है. ये देवताओं के वैद्य हैं. देव धनवंतरि को लक्ष्मी का भाई भी माना जाता है. इन्हीं के अवतरित होने से जुड़ी है धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा. जब समुद्र मंथन हो रहा था तब सागर की अतल गहराइयों से चौदह रत्न निकले थे. धनवंतरि इन्हीं रत्नों मे से एक हैं.

जब देवता और दानव मंदार पर्वत को मथनी बनाकर वासुकी नाग की मदद से समुद्र का मंथन कर रहे थे, तब 13 रत्नों के बाद कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को 14वें रत्न के रूप में धनवंतरि सामने आए. वो अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे. धनवंतरि के प्रकट होते ही देवताओं और दानवों का झगड़ा शुरू हो गया. अमृत कलश के लिए देवताओं और दानवों के बीच छीना-झपटी शुरू हो गई. लेकिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धरकर अमृत कलश हासिल कर लिया.

100 साल बाद बन रहा महासंयोग-
धनतेरस पर इस साल अजब संयोग बन रहा है. धनतेरस इस साल शुक्रवार के दिन पड़ रहा है. इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत भी रहेगा, जिस कारण से शुक्र प्रदोष और धन त्रयोदशी का महासंयोग बन रहा है. इस दिन ब्रह्म और सिद्धि योग भी बन रहा है. धनतेरस पर ये संयोग 100 साल बाद बन रहा है. इस दौरान धनतेरस पर भगवान शिव की आराधना करने से आपका भाग्योदय हो सकता है.

धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त
धनतेरस की तिथि: 
25 अक्‍टूबर 2019
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 25 अक्‍टूबर 2019 को शाम 07 बजकर 08 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्‍त: 26 अक्‍टूबर 2019 को दोपहर 03 बजकर 36 मिनट
धनतेरस पूजा मुहूर्त: 25 अक्‍टूबर 2019 को शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक
अवधि: 01 घंटे 05 मिनट

धनतेरस का महत्‍व 
धनतेरस  को धनत्रयोदशी , धन्‍वंतरि त्रियोदशी  या धन्‍वंतरि जयंती  भी कहा जाता है. मान्‍यता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्‍वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए. कहते हैं कि चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था. भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. भगवान धन्‍वंतरि के जन्‍मदिन को भारत सरकार का आयुर्वेद मंत्रालय ‘राष्‍ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ के नाम से मनाता है. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन लक्ष्‍मी पूजन करने से घर धन-धान्‍य से पूर्ण हो जाता है. इसी दिन यथाशक्ति  खरीददारी और लक्ष्‍मी गणेश की नई प्रतिमा को घर लाना भी शुभ माना जाता है. कहते हैं कि इस दिन जिस भी चीज की खरीददारी की जाएगी उसमें 13 गुणा वृद्धि होगी. इस दिन यम पूजा का विधान भी है. मान्‍यता है कि धनतेरस के दिन संध्‍या काल में घर के द्वार पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से अकाल मृत्‍यु का योग टल जाता है.