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मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार से दाल पर दी जा रही सब्सिड़ी जारी रखने का अनुरोध किया।

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मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि केन्द्र पोषित, बाह्य सहायतित और राज्य पोषित सभी योजनाओं में क्षतिपूर्ति वनीकरण के लिए डिग्रेडेड फाॅरेस्ट लैंड की अनुमति दी जाए। उत्तराखण्ड के लिए राज्य पुलिस आधुनिकीकरण राशि को बढ़ाया जाए। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत खाद्यान्न के परिवहन का सम्पूर्ण व्यय का वहन भारत सरकार द्वारा किया जाए। दाल पर दी जाने वाली सब्सिडी को जारी रखा जाए। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री ने विभिन्न बिंदुओं पर राज्य के पक्ष को रखते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए।
केंद्र सरकार से दाल पर सब्सिडी जारी रखने का अनुरोध-
मुख्यमंत्री ने केंद्र से दाल पर 15 रूपए प्रति किलोग्राम सब्सिडी को जारी रखने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना शुरू की गई है, जिससे राज्य के 23 लाख राशनकार्ड धारकों के लिए प्रतिमाह 2 किलोग्राम दाल सस्ती दरों पर उपलब्ध कराई जा रही है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में खाद्यान्न परिवहन का पूरा भार वहन करे केंद्र सरकार-
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत प्राथमिक परिवार और अन्त्योदय अन्न योजना में आवंटित खाद्यान्नों के परिवहन के लिए 100 रूपए प्रति क्विंटल की राशि दी जा रही है। उत्तराखण्ड एक पर्वतीय प्रदेश है। यहां परिवहन लागत, मैदानी राज्यों की तुलना में कहीं अधिक आती है।वर्तमान में राज्य में खाद्यान्नों के परिवहन पर 237 रूपए प्रति क्विंटल लागत आ रही है। इसके कारण राज्य सरकार को इस पर प्रति वर्ष 65 करोड़ रूपए का अतिरिक्त व्यय करना पड़ रहा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत खाद्यान्न के परिवहन का सम्पूर्ण व्यय का वहन भारत सरकार द्वारा किया जाना चाहिए।
पर्वतीय क्षेत्रों में भण्डारण क्षमता विस्तार में केंद्र से सहायता का अनुरोध-
मुख्यमंत्री ने राज्य के सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में 55 हजार मीट्रिक टन की भण्डारण क्षमता के विस्तार के लिए भारत सरकार से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि हर साल अति वृष्टि, बर्फबारी, भूस्खलन को देखते हुए बरसात और सर्दियों के मौसम में पर्वतीय क्षेत्रों में 3 माह के लिए खाद्यान्नों का अग्रिम भण्डारण किया जाना बहुत जरूरी है। राज्य में लगभग 2.5 (ढ़ाई) लाख मीट्रिक टन भण्डारण की आवश्यकता है परंतु वर्तमान में केवल 1.94 लाख मीट्रिक टन की ही भण्डारण क्षमता है।
भूमि व जलसंरक्षण में टेरिटोरियल आर्मी के उपयोग के लिए कैम्पा में हो प्रावधान-
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में टेरिटोरियल आर्मी की दो इकाईयां वृक्षारोपण और नमामि गंगे में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। इनका सदुपयोग भूमि और जल संरक्षण के कार्यों में किया जा सकता है। इन कामों के लिए राज्य सरकार के पास कैम्पा निधि में धनराशि उपलब्ध है। परंतु प्रतीकात्मक वन रोपण निधि अधिनियम 2016 के नियमों के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा कैम्पा निधि से टेरिटोरियल आर्मी की इन इकाईयों का वित्त पोषण नहीं किया जा सकता है। इसलिए केंद्र सरकार से अनुरोध है कि या तो संबंधित नियमों में आवश्यक परिवर्तन करते हुए राज्य सरकार को यह अधिकार दिया जाए। अथवा केंद्र सरकार के स्तर से राष्ट्रीय कैम्पा निधि से कराने की व्यवस्था की जाए।