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आज राज्य सरकार की ओर से श्रीनगर में आयोजित होगा मातृशक्ति सम्मेलन, ‘पहाड़’ की बेटियां करेंगी मंथन…

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उत्तराखंड– पहाड़ के अर्थतंत्र को मजबूत बनाने के लिए आज श्रीनगर गढ़वाल में मातृशक्ति सम्मेलन होगा। राज्य सरकार की ओर से आयोजित कार्यक्रम में नारियां बताएंगी पहाड़ की सूरत कैसे संवरेगी। विभिन्न क्षेत्रों में देश और प्रदेश में नाम कमाने वाली हस्तियां मातृशक्ति और उद्यमिता पहाड़ी अर्थतंत्र की रीढ़ विषय पर चर्चा करेंगी। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे।

रुद्रप्रयाग निवासी दुर्गा करासी ने आशा वर्कर के तौर पर राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के बाद उद्यमिता को घर-घर तक पहुंचाने का काम किया है। वह भी इस सत्र में शिरकत करेंगी। उनके बनाए हुए 86 समूहों में आज 675 से ज्यादा महिलाएं केदारनाथ के प्रसाद से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में आजीविका चला रही हैं। उन्हें हाल ही में केदारनाथ के प्रसाद के लिए चौलाई के लड्डू बनाने से अलग पहचान मिली है।

देश-विदेश में मिल चुके सम्मान

रुद्रप्रयाग की बेटी रंजना रावत पहाड़ में मशरूम को उद्यमिता का जामा पहना रही हैं। उन्होंने मशरूम उत्पादन को न केवल अपने लिए रोजगार का जरिया बनाया बल्कि तमाम लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया है। रुद्रप्रयाग जिले में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की ब्रांड एंबेसेडर रंजना रावत ने समाजसेवा के लिए गढ़ माटी नाम से स्वयंसेवी संस्था शुरू की। जिसके जरिये आज वह काफी लोगों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार की ओर प्रेरित कर चुकी हैं। इस सत्र में वह पहाड़ के अर्थतंत्र को मजबूत बनाने के लिए स्वयं के प्रयासों और आगे की संभावनाओं पर चर्चा करेंगी।

सत्र में ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती भी शामिल होंगी। नैनीताल के रामनगर की बेटी मीनाक्षी खाती देश में ऐपण गर्ल के नाम से मशहूर हैं। बचपन से अपनी दादी और अपनी मां को ऐपण बनाते देख मीनाक्षी के मन में हमेशा से ऐपण को नया रूप देने की चाह थी। जिसे उन्होंने साकार कर दिखाया। मीनाक्षी ने दिल्ली में आयोजित पर्यटन पर्व में पहाड़ कालिंग थीम पर ऐपण प्रस्तुत किया। इसके अलावा ऐपण गर्ल स्कूलों में लड़कियों को ऐपण बनाना भी सिखाती है और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने अपनी इस कला को एक बाजार में स्थापित किया है। अपने इन्हीं अनुभवों को वह इस सत्र में रखेंगी।

कथक नृत्यांगना एवं फिल्म निर्मात्री आरुषि निशंक को देश-विदेश में तमाम सम्मान मिल चुके हैं। उनकी विशिष्ट उपलब्धियों के लिए उन्हें पिछले वर्ष प्रसिद्ध पत्रिका फोर्ब्स  मिडिल ईस्ट में स्थान मिल चुका है। यह पहला मौका था जब इस पत्रिका में उत्तराखंड की किसी शख्सियत को स्थान मिला है। अरुषि प्रसिद्ध कथक गुरु बिरजू महाराज की शिष्या हैं। केंद्र सरकार की नमामि गंगे की प्रमोटर हैं। इसके अलावा स्पर्श गंगा अभियान की संयोजक भी हैं।

राजनीति विश्लेषक नेहा जोशी भाजयुमो की नेशनल मीडिया को-इंचार्ज हैं। उन्होंने जॉर्ज वॉरेन ब्राउन स्कूल ऑफ सोशल वर्क से डिग्री ली है। वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के दौरान उन्होंने काफी काम किया। नेहा पेट्रोलियम मंत्रालय की सलाहकार हैं। उज्ज्वला योजना के तहत 60 मिलियन गरीब महिलाओं को गैस कनेक्शन दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

हेस्को से जुड़ी डॉ. किरन नेगी बीते लंबे समय से पहाड़ की महिलाओं के आर्थिक उत्थान के लिए काम कर रही हैं। वह स्थानीय संसाधनों पर आधारित प्रशिक्षण देकर महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने में मदद करती हैं। इसके अलावा डॉण् नेगी महिलाओं स्वास्थ्य और बच्चों के खानपान को लेकर भी काम करती हैं।

जूनियर हाईस्कूल डांगी की 14 वर्षीय छात्रा शालिनी के माता-पिता का निधन हो चुका है। प्रतिभाशाली छात्रा शालिनी राज्य स्तर की दर्जनों प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर चुकी है। मातृशक्ति सम्मेलन में शालिनी महिलाओं को अपने सफर के बारे में बताएंगी।

पद्मश्री बसंती बिष्ट -जानी मानी लोक गायिका हैं। जो प्रदेश के घर-घर में गाए जाने वाले मां भगवती नंदा के जागरों के गायन के लिए प्रसिद्ध हैं। गांव और पहाड़ में महिलाओं के मंच पर जागर गाने की परंपरा नहीं थी, शादी के बाद पति ने उन्हें मंच पर जाकर गाने के लिए प्रोत्साहित किया। बसंती बिष्ट पहाड़ी क्षेत्र के इन चौंफुला, चांछड़ी और देव जागरों का प्रचार और प्रसार कर रही हैं। उन्हें मध्य प्रदेश सरकार की ओर से राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान भी मिल चुका है।

वरिष्ठ आईएएस राधा रतूड़ी -शासन में अपर मुख्य सचिव हैं। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग को देख रही हैं। वह शासन में कई महत्वपूर्ण दायित्वों का निवर्हन करती आई हैं। वह राज्य की मुख्य निर्वाचन अधिकारी भी रही हैं।

सुशील बलूनी-वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी हैं। राज्य आंदोलन का नेतृत्व करने वालों में से सुशीला एक हैं। वह पूर्व भाजपा सरकार में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर वे हमेशा संघर्षरत रहती हैं।