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चमोली : 86 साल में तीसरी बार किसी दल ने पार किया गुप्तखाल ट्रैक

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उत्तरकाशी : उत्‍तराखंड के चमोली जिले के विकट ट्रैकों में शामिल गुप्तखाल ट्रैक को बेंगलुरु के पांच ट्रैकरों ने उत्तरकाशी के गाइड-पोर्टरों की मदद से पार करने में सफलता पाई है। समुद्रतल से 5830 मीटर ऊंचे इस ट्रैक पार करने में उन्हें 11 दिन लगे। खास बात यह कि इस ट्रैक को पार करने वाला यह मात्र तीसरा दल है। इससे पूर्व वर्ष 2010 में दिल्ली के ट्रैकरों ने इस ट्रैक को पार किया था। जबकि, वर्ष 1933 में एक अंग्रेज दल ने इस ट्रैक की ट्रैकिंग की थी।

उत्तरकाशी की क्रिस्टल एडवेंचर ट्रैकिंग एजेंसी के सहयोग से बेंगलुरु निवासी भूपेंद्र सिंह पुंडीर, सूरज कुमार, युधिष्ठिर जगाधीश, अनुदित काला व गौतम बालिगा का दल 25 मई को जोशीमठ से गुप्तखाल ट्रैक पर रवाना हुए। क्रिस्टल एडवेंचर के अनुभवी गाइड जुगुल्डी (उत्तरकाशी) निवासी विनोद पंवार के नेतृत्व में यह पर्यटक दल गमसाली से आगे बढ़ा। ऐरी उडियार, रतावन, वनकुंड, वनकुंड बैंड, गढ़ कैंपिंग होते हुए दल एक जून को गुप्तखाल के बेस कैंप पहुंचा। दो जून की सुबह दल ने गुप्तखाल के 80 डिग्री पर खड़े बर्फ के 350 मीटर ऊंचे पहाड़ को रस्सियों के सहारे पार किया। चोटी पर तिरंगा फहराने के बाद दल नागथनी ग्लेशियर व मुसापानी होते हुए माणा गांव पहुंचा।

दल के गाइड विनोद पंवार ने बताया कि वर्ष 1933 में सबसे पहले एक अंग्रेज दल इस ट्रैक पर गया था। इसका उल्लेख दल ने अपनी किताब में भी किया है। उसी किताब के मैप के अनुसार वर्ष 2010 में दिल्ली के एक पर्यटक दल ने गुप्तखाल ट्रैक को पार किया। इसके बाद कई दल इस ट्रैक पर गए, लेकिन गुप्तखाल को पार नहीं कर सके। बताया कि बीते वर्ष उनका दल इस ट्रैक पर गया था, लेकिन उसे आधे रास्ते से वापस लौटना पड़ा। अब ठीक नौ साल बाद बेंगलुरु के पर्यटकों ने गुप्तखाल को पार करने में सफलता पाई है।

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