Home खास ख़बर ‘व्हॉट्सएप पे’ के आने से पेटीएम को हो सकता है नुकसान

‘व्हॉट्सएप पे’ के आने से पेटीएम को हो सकता है नुकसान

936
SHARE

नई दिल्ली: फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मार्क जुकरबर्ग ने 24 अप्रैल को यह घोषणा की थी कि कंपनी भारत में व्हॉट्सएप पे को लांच करने की तैयारी कर रहा है, तब देश में डिजिटल पेमेंट्स कंपनियों को यह स्पष्ट संदेश मिल गया था कि उन्हें अपनी जमीन संभालने की जरूरत है. साल 2023 में लगभग 1000 अरब डॉलर के अनुमानित व्यापार वाले देश के डिजिटल पेमेंट उद्योग में इस साल क्रांतिकारी बदलाव आएगा जब वैश्विक कंपनियां भारत में मौजूदा कंपनियों को चुनौती देंगी। भारत में इस उद्योग में फिलहाल अलीबाबा के सहयोग वाली पेटीएम का राज है।

एमेजन ने हाल ही में पियर-टू-पियर (पीटूपी) ट्रांजेक्शन बाजार में अपने एंड्रॉएड ग्राहकों के लिए एमेजन पे यूपीआई लांच किया है। गूगल पे ने भी 4.5 करोड़ यूजर्स के साथ अपनी उपस्थिति मजबूती से पेश की है। गूगल पे पर मार्च में 81 अरब डॉलर का लेन-देन दर्ज किया गया।

एपल पे भी आएगा और भारत में आईफोन की कीमतें कम करने के साथ 39 करोड़ वैश्विक पेड उपभोक्ताओं वाली यह सेवा 10 अरब उपभोक्ताओं के लक्ष्य के मार्ग पर है। व्हॉट्सएप पे हालांकि वास्तविक क्रांतिकारी साबित होने वाला है, इसके पीछे एक सामान्य कारण है कि इसके पास भारतीय डिजिटल पेमेंट्स मार्केट में शीर्ष पर आने की क्षमता है।

व्हॉट्सएप के भारत में वर्तमान में 30 करोड़ यूजर्स हैं (फेसबुक पर भारत में 30 करोड़ अन्य यूजर्स) और इसके पीटूपी यूपीआई आधारित भुगतान सेवा शुरू करते ही यह 23 करोड़ यूजर्स वाले पेटीएम से आगे निकल जाएगा।

सीएमआर के इंडस्ट्री इंटेलीजेंस ग्रुप (आईआईजी) के प्रमुख प्रभु राम ने कहा, “भारतीयों को व्हॉट्सएप से प्यार है और वे इसके माध्यम से होने वाले लेन-देन की सेवा को भी पसंद करेंगे। मैं अंदाजा लगा रहा हूं कि उद्यमी और छोटे तथा मध्यम उद्योग व्हॉट्सएप पे अपनाएंगे और इसका उपयोग करेंगे।”

राम ने कहा, “इससे उनकी साख बढ़ेगी बदले में, इस चलन से उन्हें बैंक जैसे आम संसाधनों से ऋण लेने में आसानी होगी।” पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा यह जानते हैं कि भविष्य में उनका सामना भयंकर वैश्विक प्रतिस्पर्धा से होगा। शर्मा ने पिछले साल ट्विटर के माध्यम से व्हॉट्सएप की मूल कंपनी फेसबुक पर हमला शुरू किया था। शर्मा ने ट्वीट किया था, “मूल फीचर्स को निशुल्क देकर भारत के खुले इंटरनेट बाजार को जीतने में असफल रहने के बाद फेसबुक दोबारा लड़ाई में है।”