उत्तराखंड हाईकोर्ट में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए शपथ पत्र पर नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि:-
1: सप्ताहांत में पर्यटकों के लिए दी गयी छूट पर पुनर्विचार करें और कोर्ट को बताएं।
2: डेल्टा प्लस वैरिएंट की जांच के लिए जो सैम्पल भेजे गए हैं उनकी रिपोर्ट का विवरण।
3:जहाँ सैम्पल लिए गए हैं उन जिलों के अधिकारियों ने सावधानी के लिए क्या निर्णय लिए हैं।
4:राज्य के कितने सरकारी कितने निजी अस्पतालों में एमआरआई है, कितनों में नहीं है इसकी रिपोर्ट दें।
5:कितने पीडियाट्रिक (बाल रोग) वार्ड व बेड हैं। कोर्ट को अवगत कराएं।
6: सीएचसी में कितने डॉक्टर उपलब्ध हैं कहाँ नहीं हैं इसकी पूरी लिस्ट दें।
7:प्रतिदिन कितना वैक्सिनेशन प्रदेश में हो रहा है, कितनों को फर्स्ट डोज लग गयी है। प्रतिदिन का रेट।
8:कितने बुजुर्ग व्यक्तियों और विकलांगों को अब तक वैक्सीन लग चुकी है और उसके लिए राज्य सरकार ने क्या कदम उठाए।
9:क्या नियर टू होम वैक्सीनेशन क्लिनिक के बारे में सरकार ने कोई विचार किया है।
10:उत्तराखंड में इंटर्न चिकित्सकों को 7500 मानदेय दिया जा रहा है जबकि हिमाचल में जा रहे हैं राज्य सरकार इसको बढ़ाने के बारे में विचार करें। एक और सरकार कहती है कि हमारे पास चिकित्सक नहीं है और दूसरी और इंटर चिकित्सकों का मानदेय इतना कम होना चिंताजनक है।
11:अगली तारीख पर 28 तारीख तक यह रिपोर्ट फाइल करें और मुख्य सचिव वीकेंड टूरिज्म के बारे में लिए गए निर्णय के संबंध में कोर्ट को अवगत करवाएँ।
आपको बता दें कि अधिवक्ता दुष्यंत मनाली, सच्चिदानंद डबराल, सहित कई लोगो ने राज्य की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं, कोविड से लड़ने के लिए वैक्सिनेशन हेतु विभिन्न जनहित याचिका दायर की है।