बड़ी खुशियों की चाहत में हम अक्सर छोटी खुशियों को नजरअंदाज कर देते हैं। जो सुविधाएं हमारे पास हैं, उनके लिए खुशी ना जता कर जो नहीं है उसके लिए अफसोस करते हैं…इन सुविधाओं और छोटी खुशियों का मोल क्या है…ये उत्तरकाशी के सरतली गांव वालों से पूछिए जो कि आजादी के बाद से अब तक गांव में बस पहुंचने का इंतजार कर रहे थे, खैर अब ये इंतजार खत्म हो गया है। मंगलवार को जब डुंडा ब्लॉक के सरतली गांव में पहली बार बस पहुंची तो लोगों की खुशी देखने लायक थी। गांव में बस पहुंचना ही यहां के ग्रामीणों के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। गांव के लोगों ने ढोल-दमाऊं बजाकर बस का स्वागत किया और पीएमजीएसवाई के अधिकारियों को फूलमाला पहना कर उनके प्रति सम्मान जताया। आइए जानते हैं इस गांव के लोगों ने सड़क के लिए कितना संघर्ष किया है।
हम देश के विकास की रफ्तार पर चर्चाओं के बीच अक्सर गांवों के हालात को नजरअंदाज कर देते हैं। पहाड़ में अब भी ऐसे सैकड़ों गांव हैं, जो कि सड़क-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। सरतली गांव भी इन्हीं गांवों में से एक हुआ करता था, क्योंकि गांव में सड़क तक नहीं थी। आजादी मिलने के बाद देश तो आजाद हो गया था, लेकिन इस गांव के लोगों को अपनी तकलीफों से आजादी नहीं मिल पाई। ग्रामीणों की मांग को देखते हुए शासन ने स्यालना बैंड से सरतली तक पीएमजीएसवाई के तहत 3.15 किमी सड़क की स्वीकृति दे दी, जिसका प्रथम चरण का कार्य मार्च में जाकर पूरा हुआ। मंगलवार को इस गांव का सपना पूरा हुआ और यहां बनी सड़क पर पहली बार बस चल कर गांव तक पहुंची, जिसका ग्रामीणों ने ढोल नगाड़ों के साथ स्वागत किया। गांव वाले बेहद उत्साहित थे। सरतली में सड़क निर्माण के पहले स्टेज का काम पूरा हो गया है, जल्द ही दूसरे फेज का काम शुरू होगा, लेकिन पहाड़ में अभी ऐसे सैकड़ों गांव है, जहां लोग सड़क बनने का इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद है जल्द ही ये गांव भी सड़क सेवा से जुड़ेंगे और यहां के ग्रामीणों को भी अपने गांवों में इसी तरह बस का स्वागत करने का मौका मिलेगा।