उत्तराखंड में जंगली जानवर दहशत का सबब बने हुए हैं। जंगली जानवर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं, मवेशियों का शिकार करते हैं और तो और इंसानों की भी जान ले रहे हैं। अब तक जंगली जानवरों की वजह से होने वाली जनहानि और फसल को हुए नुकसान के मुआवजे का भुगतान वन विभाग करता था, लेकिन अब पीड़ितों को मुआवजा देने की जिम्मेदारी आपदा प्रबंधन विभाग की होगी। ये फैसला त्रिवेंद्र सरकार की कैबिनेट मीटिंग में लिया गया। बुधवार को अल्मोड़ा में त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल की महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में कॉलेजों और उद्योंगों से जुड़े जरूरी फैसले लिए गए। बैठक में एसएसजे परिसर का आवासीय विवि में विलय करके सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय बनाने का फैसला किया गया, यानि अब एसएसजे परिसर और आवासीय विश्वविद्यालय को मिलाकर नई यूनिवर्सिटी बनेगी। उत्तराखंड जल नीति-2019 को भी मंजूरी मिल गई है। बैठक में जल संसाधनों के संरक्षण पर भी चर्चा हुई। कैबिनेट ने आईटीआई का शुल्क 3900 रुपये सालाना करने का फैसला किया है। इस फैसले से छात्रों और अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। ये शुल्क अब तक 40 रुपये प्रतिमाह हुआ करता था, जो कि अब 3900 रुपये सालाना हो जाएगा।
टिहरी झील के पास आईटीबीपी का साहसिक प्रशिक्षण सेंटर खोला जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार आईटीबीपी को जमीन उपलब्ध कराएगी। ये एक अच्छा प्रयास है, सेंटर में उत्तराखंड के युवाओं को प्रॉयोरिटी दी जाएगी, उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे वो रोजगार हासिल कर सकेंगे। मंत्रियों को भी अपना इनकम टैक्स खुद भरने को कहा गया है। अब तक राज्य सरकार के मंत्रियों को मिलने वाले भत्तों-वेतन के आयकर का भुगतान सरकार किया करती थी। इसके साथ ही होम स्टे योजना के दायरे को बढ़ा दिया गया है। अब लोग होम स्टे चलाने के लिए, पुराने भवनों का जीर्णोद्धार करने या उनमें सुविधाएं बढ़ाने के लिए भी लोन हासिल कर सकेंगे। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में कैबिननेट मंत्री हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, मदन कौशिक, सतपाल महाराज, डॉ. धन सिंह रावत और रेखा आर्य के अलावा सचिव उत्पल कुमार सिंह और प्रमुख सचिव ओम प्रकाश आदि मौजूद थे।