देहरादून: स्वास्थ्य विभाग को पटरी पर लाने के लिये त्रिवेन्द्र सरकार ने तमाम प्रयास किये हैं। जिसका कुछ हद तक परिणाम दिखाई भी दे रहा है। अटल आयुष्मान योजना शुरू करने के बाद मरीजों को बड़ी राहत मिली है। लेकिन अभी भी पर्वतीय इलाकों में आम आदमी को स्वास्थ्य सेवाओं का सम्पूर्ण लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्हें ईलाज के लिये देहरादून या फिर ऋषिकेश के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। राज्य के कई प्राइवेट अस्पताल छोटी बीमारी को बड़ा बनाकर मरीजों को जमकर लूटने का काम कर रहे हैं। अटल आयुष्मान योजना में भी कई अस्पतालों ने गड़बड़झाला किया है। पकड़ में आने के बाद विभाग इन पर कार्यवाई भी कर रहा है। उत्तराखंड में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के लड़खड़ाने के पीछे एक बड़ी वजह डॉक्टरों की कमी है। खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में जहां, पिछले 18 साल में डॉक्टरों को पहाड़ चढ़ाने की कोशिशें अब तक परवान नहीं चढ़ पाई हैं। यही नहीं, डॉक्टरों की तैनाती होने के बावजूद वे यहां सेवाएं नहीं दे रहे। स्थिति ये है कि नियुक्ति पाए तमाम डॉक्टर पिछले कई सालों से अनुपस्थित चल रहे हैं। इसके कारण उनकी जगह नई नियुक्तियां भी नहीं हो पा रही हैं। इसे देखते हुए शासन ने अब ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। इस कड़ी में अनुपस्थित चल रहे 35 डॉक्टरों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। स्वास्थ्य सचिव नितेश कुमार झा की ओर से इसके आदेश जारी कर दिए गए हैं।
कई डाॅक्टरों को हैं बड़े-बड़े नर्सिग होम
आपको बता दें कि शासन ने जिन डाॅक्टरों की सेवायें समाप्त की हैं उनमे से कई के देहरादून सहित तमाम बड़े शहरों में नर्सिग होम है। कुछ डाॅक्टर नामी अस्पतालों में अपनी सेवायें दे रहे हैं। बहुत से डाॅक्टर ऐसे हैं कि जिनका तबादला होने के बाद उन्होंने ज्वाइनिंग दी ही नहीं। कहीं न कहीं शासन ने डाॅक्टरों की सेवायें समाप्त करने की कार्यवाई मे काफी लम्बा वक्त लिया है। या फिर स्वास्थ्य विभाग से शासन को कार्यवाई के लिये फाइल प्रेषित करने में देरी की गई। नई पोस्टिंग पर ज्वाइन न करने वाले डाॅक्टरों के लिये एक निश्चित समय अवधि होनी चाहिए। यदि उस अवधि तक व ज्वाइन नहीं करते तो उनकी सेवायें समाप्त कर दी जानी चाहिए। ताकि समय पर उनकी जगह नये डाॅक्टरों की ज्वाइनिंग हो सके। जिनको पर्वतीय इलाकों में भी सेवायें देने में कोई परेशानी नहीं है।
शासन ने इन चिकित्सकों की सेवाएं समाप्त उत्तराखंड के विभिन्न अस्पतालों से पिछले पांच साल से ड्यूटी से अनुपस्थित चल रहे 35 चिकित्सकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। इस सिलसिले में शासन ने आदेश जारी कर दिए हैं। डॉ.अल्का पुनेठा, डॉ. श्रीनंद उनियाल, डॉ.दीपा नेगी, डॉ.पाशुल जुगरान, डॉ. प्रदीप चंद्र शर्मा, डॉ.एमएल विश्नोई, डॉ. शमीम अहमद, डॉ.विवेकानंद सत्यबली, डॉ.युवराज सिंह जीना, डॉ. नंदन सिंह चैहान, डॉ.अवधेश कुमार, डॉ.अजीत सिंह, डॉ.विनोद कुमार ओझा, डॉ.अनूप कुमार, डॉ.विपुल बिष्ट, डॉ.गौरव कंसल, डॉ.अजय कुमार, डॉ.संजय पंत, डॉ.कांति प्रसाद कुनियाल, डॉ.जेएन पांडे, डॉ. सुधीर कुमार, डॉ.रमेश चंद्र, डॉ.अनुज भटनागर, डॉ.पीयूष गोयल, डॉ. शरद पांडे, डॉ.अभिताष मिश्रा, डॉ. माधवी दबे, डॉ.तरुण पाठक, डॉ.ललित कुमार, डॉ.रुचिरा पांगती, डॉ.रुचि डुगरियाल, डॉ.आशीष कुमार, डॉ. मानसी गुसाई, डॉ.अजय कुमार व डॉ. प्रियंका सिंह शामिल हैं।