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श्रीलंका के बस स्टैंड पर मिले 87 बम डेटोनेटर, राष्ट्रपति ने की आपातकाल की घोषणा

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ईस्टर के पवित्र त्योहार पर चर्च में इकट्ठा हुए लोगों को आत्मघाती हमलवरों ने रविवार को निशाना बनाया। अब यहां कोलंबो में बस स्टैंड पर 87 बम डेटोनेटर मिले हैं। बता दें रविवार को राष्ट्रीय आपातकाल घोषित हमलावरों ने तीन लग्जरी होटलों को भी अपना निशाना बनाया। अबतक इन हमलों में मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 290 हो चुकी है। जिसमें विदेशी नागरिकों सहित छह भारतीय भी शामिल हैं। वहीं घायलों की संख्या 500 से ज्यादा है। इसी बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरीसेना ने देश में आपातकाल घोषित कर दिया है जो आज आधी रात से लागू हो जाएगी।

श्रीलंका के स्वास्थ्य मंत्री राजिता सेनारत्ने ने कहा कि देश में ईस्टर के दिन हुए भीषण विस्फोटों के पीछे ‘नेशनल तोहिद जमात’ संगठन का हाथ होने की आशंका है। माना जाता है कि सभी आत्मघाती हमलावर श्रीलंका के ही नागरिक थे। भारतीय तटरक्षक बल श्रीलंका से लगती सीमा पर हाई अलर्ट पर है। श्रीलंका को दहलाने वाले हमलावरों को भारत में किसी भी तरह के हमलों को अंजाम देने से रोकने के लिए जहाजों और मैरीटाइम सर्विलांस एयरक्राफ्ट डोर्नियर की तैनाती की गई है।

एक दशक बाद इस देश में इस तरह के हमले हुए हैं। पुलिस ने 24 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। किसी भी आतंकी संगठन ने इन हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन इस्लामिक समूह तौहिद जमात का इसमें हाथ होने की आशंका जताई जा रही है। सरकार ने कोलंबो में रात के आठ बजे से सुबह के चार बजे तक के लिए कर्फ्यू लगा दिया है। सोशल मीडिया पर भी स्थानीय प्रतिबंध लगा हुआ है।

कहां है भगवान
धमाकों के बाद घायल बच्चों को लेकर कोलंबो के एक अस्पताल पहुंचे शांता प्रसाद के मन में देश के भीषण गृहयुद्ध की यादें ताजा हो गईं। उन्होंने सोमवार को कहा, ‘कल में करीब आठ घायल बच्चों को अस्पताल लेकर गया।’ प्रसाद ने कहा, ‘घायलों में मेरी बेटियों की उम्र के बराबर की छह और आठ साल की दो बच्चियां थीं।’

वह स्ट्रेचर पर घायलों को अस्पताल के अंदर और वार्डों में पहुंचाने में मदद कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘उनके (घायलों) कपड़े फटे हुए थे और वे खून से लथपथ थे। इस तरह की हिंसा देखना बहुत असहनीय है।’ रविवार को श्रीलंका के गिरजाघरों और आलीशान होटलों को निशाना बनाकर किए गए हमलों ने देश के लोगों के मन में करीब तीन दशक तक चले संघर्ष की दर्दनाक यादें ताजा कर दीं, जिसमें करीब एक लाख लोग मारे गए थे।

उन दिनों बम हमले रोजाना की बात हुआ करते थे और अनेक श्रीलंकावासी सड़कों तथा सार्वजनिक परिवहन से दूर ही रहते थे। राजधानी में सड़क सफाईकर्मी मलाथी विक्रमा ने सोमवार को कहा कि अब वह अपना काम करने से घबरा रहा है। उन्होंने कहा, ‘अब हमें कचरे से भरे प्लास्टिक के काले बैग तक को छूने में डर लग रहा है।’

विक्रमा ने कहा, ‘कल के सिलसिलेवार धमाकों ने हमारे मन में उस डर को ताजा कर दिया है जब हम पार्सल बम के डर से बसों या ट्रेनों में जाने से डरते थे।’ कल के हमलों के चलते स्कूल और स्टॉक एक्सचेंज बंद हैं। हालांकि कुछ दुकानें खुली हैं और सड़कों पर सार्वजनिक परिवहन जारी है।

तीन बच्चों के पिता करुणारत्ने ने कहा, ‘मैं धमाकों के बाद घटनास्थल पहुंचा और मैंने हर जगह लाशें ही लाशें देखीं।’ उन्होंने कहा, ‘मेरे बच्चों ने भी टीवी पर ये तस्वीरें देखीं और अब वे गिरजाघर जाने से बहुत डर रहे हैं।’ वे मुझसे कई सवाल करते हैं और पूछते हैं, ‘भगवान कहां है?’