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सोशल मीडिया पर नागरिकता कानून के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने वालों की खैर नहीं

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नागरिकता कानून के खिलाफ सभी वामदल और मुस्लिम संगठनों ने आज भारत बंद का आह्वान किया गया है। यूपी-बिहार से लेकर बंगलूरू में असर देखने को मिल रहा है।लेफ्ट पार्टियों के इस भारत बंद को विपक्ष का भी समर्थन प्राप्त है।
वहीं सोशल मीडिया पर नागरिकता कानून के बारे में दुष्प्रचार कर रहे लोगों पर लगाम कसने के लिए सरकार फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर को पत्र लिख रही है। दिल्ली सहित कई राज्यों में सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों पर लगाम कसने के लिए पुलिस बलों को सतर्क रहने को कहा गया है। केंद्र सभी राज्यों में नागरिकता कानून पर आंदोलन की स्थिति और सोशल मीडिया गतिविधि पर रिपोर्ट ले रहा है।
सोशल मीडिया कंपनियों ने सांप्रदायिक सामग्री और फर्जी खबरों को रोकने के लिए 15 हजार लोगों की नियुक्ति की है। ट्विटर, फेसबुक, टिकटॉक, हेलो और शेयर चैट जैसी कंपनियों ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चल रहे प्रदर्शनों के बीच यह कदम उठाया है। इसके तहत नियुक्त किए गए लोग पिछले दस दिन से इन प्लेटफॉर्मों पर फर्जी और सांप्रदायिक खबरों को रोकने के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं। एक सोशल मीडिया कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट ने बताया कि नियुक्त किए गए लोगों को रात की पाली में काम करने को कहा गया है। क्योंकि फर्जी खबरें रात को सबसे ज्यादा सामने आती हैं और शेयर की जाती हैं। ये 15 हजार लोग अन्य असाइनमेंट पर थे, लेकिन अब उन्हें नागरिकता कानून से संबंधित कंटेट को देखने को कहा गया है। 2500 से अधिक फर्जी खबरों को सोशल साइट्स से हटाया गया है।
आईटी ऐक्ट के तहत आपके पोस्ट से किसी की भावना आहत होती है या दो समुदायों के बीच नफरत पैदा होती है, तो आपको जेल की हवा खानी पड़ सकती है।ऐसे मामलों में 153 ए और 34 के साथ आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।धारा 153 ए उनके खिलाफ लगाई जाती है, जो धर्म, नस्ल, भाषा, निवास स्थान या फिर जन्म स्थान के आधार पर नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं। इस धारा के तहत तीन साल की जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

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