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सिर दर्द और माइग्रेन के अंतर को समझना है जरूरी, ये लक्षण करते हैं अलग

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सिर में दर्द होना आम बात है। इसका महत्वपूर्ण कारण बदलती दिनचर्या है, जिसमें ना तो सोने का समय है, ना ही जागने का। आमतौर पर लोग सिर में होने वाले किसी भी किस्म के दर्द को माइग्रेन मान लेते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि माइग्रेन और सामान्य सिर दर्द अलग- अलग हैं। सिर में होने वाले सामान्य दर्द की वजह भी अलग होती है। यह थकान, भूख लगने, नींद न आने जैसे कारणों से होता है।  यह दर्द अस्थाई होता है, जो थोड़ी देर में ठीक भी हो जाता है। सामान्य सिर दर्द में सिर के दोनों हिस्सों में आंखों के आसपास दर्द होता है, जबकि माइग्रेन में सिर के पिछले हिस्से में या फिर सिर के आधे हिस्से में दर्द होता है। यह कतई जरूरी नहीं है कि आपके सिर में होने वाला दर्द माइग्रेन का ही हो।

क्लासिकल-नॉन क्लासिकल माइग्रेन
वैसे तो माइग्रेन के बहुत से प्रकार हैं, लेकिन मुख्यतौर लोग आप दो तरह के माइग्रेन क्लासिकल और नॉन-क्लासिकल से ज्यादा प्रभावित होते हैं। क्लासिकल माइग्रेन के बहुत सारे लक्षण ऐसे होते हैं, जो इस बात का संकेत देते हैं कि आपको माइग्रेन का दौरा पड़ने वाला है। मसलन, सिर दर्द की शुरुआत से पहले धुंधला दिख सकता है। क्लासिकल माइग्रेन की अवस्था में रक्तवाहिनियां सिकुड़ने लगती हैं। इस अवस्था में रक्त वाहिनियां बड़ी हो जाती हैं, इसलिए इसमें डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना बेहद जरूरी है। नॉन-क्लासिकल माइग्रेन में समय-समय पर सिर में बहुत तेज दर्द होता है, लेकिन अन्य कोई लक्षण नजर नहीं आता। ऐसी स्थिति में सिर दर्द की शुरुआत के साथ ही दर्द निवारक दवा लेकर आप इस स्थिति से निजात पा सकते हैं।

क्या है माइग्रेन
आपके सिर के एक हिस्से में बहुत ज्यादा दर्द होने लगता है और ऐसा लगने लगता है जैसे कोई हथौड़े से मार रहा हो। यह दर्द सिर के आधे हिस्से में होता है, लेकिन कभी-कभी यह पूरे हिस्से में भी हो सकता है। दर्द की यह स्थिति कुछ घंटों से लेकर कुछ दिन तक रह सकती है। इस दर्द को माइग्रेन, अधकपारी या अर्धशीशी कहते हैं। माइग्रेन में सिर दर्द के समय सिर के नीचे की धमनी बढ़ जाती है। कई बार दर्द वाले हिस्से में सूजन भी आ जाती है। माइग्रेन को वस्कुलर हेडेक के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेदिक डॉक्टरों की मानें तो माइग्रेन दिमाग या चेहरे की रक्त-वाहिनियों में हुई गड़बड़ी से होने वाली बीमारी है। माइग्रेन आनुवंशिक बीमारी भी है, जिसका कारण खान-पान, वातावरण में बदलाव, तनाव के स्तर में बढ़ोतरी या जरूरत से ज्यादा सोना हो सकता है। इन लक्षणों पर नजर रखने की जरूरत होती है।

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