Home अपना उत्तराखंड उत्तराखंड : समाज कल्याण विभाग में एक और घोटाला…

उत्तराखंड : समाज कल्याण विभाग में एक और घोटाला…

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देहरादून : समाज कल्याण महकमे में घोटाले और वित्तीय गड़बड़ी थमने का नाम नहीं ले रही हैं। छात्रवृत्ति घोटाले में एसआइटी जांच का सामना कर रहे विभाग के अधिकारी सुधरने को तैयार नहीं हैं। हालत यह है कि पौड़ी, उत्तरकाशी, टिहरी और चमोली जिलों में बैंक खातों में 46.66 करोड़ से ज्यादा धनराशि अवैध रूप से पड़ी है, जबकि पेंशन वितरण में 47.45 करोड़ से ज्यादा की अनियमितता पकड़ी गई है। यही नहीं, दूरदराज पिछड़े क्षेत्रों के कमजोर और वंचित वर्गो के बच्चों के लिए ऊधमसिंहनगर, पौड़ी, नैनीताल, चमोली जिलों में स्थापित राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों में वित्तीय गड़बड़ियों को रोकने में महकमा नाकाम रहा है। पौड़ी, उत्तरकाशी, टिहरी, चमोली के समाज कल्याण अधिकारी कार्यालयों में वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए हुए ऑडिट में वित्तीय घपले सामने आए हैं।

पौड़ी जिले में राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय श्रीकोट की छात्र क्षमता 60 है, लेकिन वहा महज 14 छात्र ही हैं। इससे विद्यालय की स्थापना पर ही सवाल खड़े हुए हैं। भोजन मद में कम बजट खर्च हुआ। वहीं बगैर बजट के ही 52400 रुपये के कॉर्टेज खरीद गए। इसमें उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली का पालन नहीं किया गया। महकमे ने पीएलए खाता खोलने की जरूरत महसूस नहीं की। बैंक खातों में 1128.83 लाख की राशि गलत तरीके से अवरुद्ध पड़ी पाई गई।

जिला समाज कल्याण अधिकारी उत्तरकाशी कार्यालय में भी अनावश्यक रूप से बैंक खातों में 812.03 लाख रुपये अवरुद्ध रखे गए। अनुसूचित जाति बहुल गांवों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास को आवंटित 137.53 लाख धनराशि कार्यदायी संस्थाओं को दिए गए, लेकिन इन संस्थाओं से उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं लिए गए। 3567.18 लाख रुपये पेंशन बांटी गई, लेकिन पेंशन बांटने से पहले लाभार्थियों का शत-प्रतिशत भौतिक सत्यापन नहीं किया गया। पेंशनर की मृत्यु के बाद कार्यालय को प्राप्त हुई 17.88 लाख की राशि शासन को वापस नहीं की गई। यही नहीं विभागीय वाहन का इस्तेमाल करने के लिए कार्यालयाध्यक्ष के वेतन से कटौती नहीं कर 28733 रुपये का चूना लगाया गया।

वृद्धावस्था पेंशनरों का सत्यापन नहीं 

जिला समाज कल्याण अधिकारी टिहरी कार्यालय में भी बैंक खातों में नियम विरुद्ध 1924.19 लाख की धनराशि पाई गई। वहीं 1177.99 लाख पेंशन धनराशि के बिलों के साथ लाभार्थियों की सूची संलग्न नहीं की गई। पेंशन का भुगतान ऑनलाइन नहीं किया गया। जिले में कुल पंजीकृत 46652 वृद्धावस्था पेंशनर में से 45577 को एक हजार रुपये प्रतिमाह की दर से 5621.81 लाख का भुगतान किया गया, लेकिन ये भुगतान भौतिक सत्यापन के बगैर किया गया। कार्यदायी संस्थाओं को 40.22 लाख की राशि दी गई, लेकिन उपयोगिता प्रमाणपत्र हासिल नहीं किए गए।

आश्रम पद्धति विद्यालयों में बरतीं

अनियमितताएं जिला समाज कल्याण अधिकारी चमोली में भी बैंक खातों में 801.62 लाख रुपये अवरुद्ध पाए गए। पेंशन का ऑनलाइन भुगतान के आदेश के बावजूद सिर्फ 59 फीसद वृद्धावस्था पेंशन, 66 फीसद दिव्यांग पेंशन, 91 फीसद किसान पेंशन ही ऑनलाइन भुगतान हो सका। नगर पंचायत पोखरी में 16.77 लाख रुपये में निर्माण कार्य निरस्त हुए, लेकिन यह राशि बैंक खाते में ही रखी गई। ऊधमसिंहनगर जिले में राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय गूलरभोज में बगैर टेंडर के ही भोजन ठेकेदार को 2.29 लाख का भुगतान किया गया। देयकों से बिजली और जल मूल्य की कटौती नहीं की गई। कार्यालय में गलत वेतन निर्धारण कर मुख्य सहायक को 42 हजार से ज्यादा राशि का भुगतान कर दिया गया। चमोली जिले में राजकीय आश्रम पद्धति उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जोशीमठ में विद्युतीकरण कार्य में निर्माण इकाई ने अनुबंध की शर्ते पूरी नहीं कीं। नैनीताल जिले के राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय बेतालघाट में मुख्य सहायक को गलत वेतन निर्धारित कर 22420 रुपये का अधिक भुगतान किया गया। ऑडिट रिपोर्ट में उक्त कार्मिकों से अधिक धनराशि की वसूली की सिफारिश समाज कल्याण सचिव से की गई है।

ग्रामीण क्षेत्रों में सो रहे अधिकारी, भटक रहे पेंशनर

शहरी क्षेत्रों में पेंशन सत्यापन को लेकर पटवारी उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्थिति और बुरी नजर आ रही है। यहां ग्राम पंचायत विकास अधिकारी और ग्राम विकास अधिकारी पेंशन सत्यापन में कतई रुचि नहीं ले रहे हैं। बेहद कम अधिकारी ही डोर-डू-डोर पेंशन सत्यापन कर रहे हैं। आलम यह है कि सालभर बाद भी महज 50 फीसद पेंशनों का ही सत्यापन हो पाया है। वहीं, शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 65 फीसद है।

ग्रामीण क्षेत्रों में पेंशन सत्यापन की इस स्थिति पर समाज कल्याण विभाग ने भी आपत्ति जताई है। दरअसल, प्रदेशभर में एक साल से वृद्धा, विधवा व दिव्यांग पेंशनों का सत्यापन चल रहा है। तहसील क्षेत्र में पेंशन सत्यापन का कार्य पटवारी के जिम्मे है। जबकि, ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी को घर-घर जाकर पेंशन सत्यापन करना होता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में शिकायतें आ रही हैं कि अधिकारी पेंशन सत्यापन को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जबकि पेंशनर सत्यापन के लिए दर-दर भटक रहे हैं। पेंशनरों को योजना से वंचित होने का डर सता रहा है। खंड समाज कल्याण अधिकारियों ने इस संबंध में जिला समाज कल्याण अधिकारी जीत सिंह रावत से शिकायत की है, जिसके बाद अब विभाग सीडीओ को पत्र भेजने की तैयारी में है।

जिले में पेंशन सत्यापन की स्थिति 

ग्रामीण क्षेत्र: कुल पेंशनर,

सत्यापन हुए 45000, 22,600

शहरी क्षेत्र: कुल पेंशनर,

सत्यापन हुए 25000, 16250

(नोट: इस आंकड़े में वृद्ध, विधवा, दिव्यांग पेंशनें शामिल हैं)

बोले अधिकारी

जीत सिंह रावत (जिला समाज कल्याण अधिकारी) का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी व वीडीओ डोर-टू-डोर पेंशन सत्यापन में रुचि नहीं ले रहे हैं। जिस वजह से पेंशनरों को योजना से वंचित होने का डर सता रहा है। इसे लेकर कई खंड समाज कल्याण अधिकारियों ने भी शिकायत की हैं।