उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी तय होने के बाद चुनावी जंग का आगाज हो गया है। भाजपा में खंडूड़ी और कोश्यारी युग का अंत हो गया है, जबकि पार्टी ने तीन सांसदों को दोबारा मौका दिया है। मोदी लहर पर सवारी को तैयार भाजपा का जोश हाई है, लेकिन वर्ष 2014 में मिली जीत को दोहराने का दबाव भी है। उधर, भाजपा के मिशन रिपीट के सपने को तोड़ने के लिए कांग्रेस ने हैवीवेट चेहरों को उतारा है। आखिरी समय में हरीश रावत को नैनीताल से तो चुनाव लड़ने से इनकार कर रहे प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को टिहरी से उतारकर जंग को रोचक बना दिया है। पार्टी जनरल खंडूड़ी के बेटे मनीष को गढ़वाल में ट्रंप कार्ड मान रही है।
पौड़ी : पुत्र बनाम शिष्य है मुकाबला
पौड़ी में कांग्रेस ने भाजपा सांसद बीसी खंडूड़ी के पुत्र मनीष खंडूड़ी को उतारकर चुनाव रोचक बना दिया है। मनीष को टक्कर देने के लिए भाजपा ने जनरल के शिष्य रहे तीरथ सिंह रावत को उतारा है। इस सीट पर असल इम्तिहान खंडूड़ी का है। देखना है कि भाजपा जनरल को तीरथ के साथ खड़ा कर पाती है या फिर वे अपने पुत्र के समर्थन में आते हैं। कांग्रेस इस सीट पर जनरल को रक्षा मामलों की संसदीय समिति से हटाए जाने को अपमान बताकर मुद्दा बना रही है। वहीं, भाजपा में कई दिग्गजों की साख इस सीट पर जीत हार से जुड़ी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित चार मंत्री हरक सिंह, सुबोध उनियाल, सतपाल महाराज और धन सिंह रावत पौड़ी क्षेत्र से हैं।
नैनीताल : इस बार अस्तित्व की जंग
सांसद भगत सिंह कोश्यारी की जगह भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को इस सीट से उतारा है। मोदी लहर में रानीखेत सीट से विधानसभा चुनाव हार चुके भट्ट के लिए नैनीताल नया क्षेत्र है। उनके सामने हरीश रावत हैं, जो सीएम रहते हुए विधानसभा चुनाव में दो सीटों किच्छा (ऊधमसिंह नगर) और हरिद्वार (ग्रामीण) से हारे हैं। इस बार दोनों के सामने अस्तित्व की लड़ाई है। किच्छा की हार के बावजूद रावत इसे अपने लिए सीट मान रहे हैं। वहीं अजय भट्ट, सांसद कोश्यारी की सियासी पकड़ के भरोसे अधिक दिख रहे हैं। रावत के सामने दूसरी चुनौती वहां गुटबाजी और टिकट कटने से नाराज दावेदारों को साधने की भी रहेगी।
टिहरी : सियासी घराने आमने-सामने
टिहरी में दो घरानों के बीच टक्कर होगी। राजशाही परिवार की वारिस माला राज्यलक्ष्मी शाह के सामने रवाईं-जौनसार के बड़े नेता रहे गुलाब सिंह के बेटे और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह हैं। शाह परिवार का इस सीट पर 1951 से दबदबा रहा है। वहीं विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र के बड़े हिस्से में गुलाब सिंह की विरासत को प्रीतम आगे बढ़ाते रहे हैं। प्रीतम के सामने चुनौती है कि वे पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, जबकि माला को क्षेत्र में उनके परिवार से जुड़ी आस्था का फायदा रहेगा।
अल्मोड़ा : फिर टम्टा बनाम टम्टा
अल्मोड़ा में एक बार फिर दो पुराने प्रतिद्वंद्वी आमने सामने हैं। कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा को उतारा है, जबकि भाजपा ने केंद्रीय राज्य कपड़ा मंत्री अजय टम्टा पर भरोसा जताया। अजय वर्ष 2014 की मोदी लहर में प्रदीप से नब्बे हजार मतों से जीते थे। अजय पर आरोप लगता रहा है केंद्रीय राज्य मंत्री बनने के बाद उन्होंने क्षेत्र में उतना समय नहीं दिया। इस बात को लेकर पार्टी में ही उनकी उम्मीदवारी के खिलाफ विरोध के स्वर उठते रहे हैं। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा ने बतौर राज्यसभा सांसद क्षेत्र में कार्य किया, लेकिन विरोधी उनके भी मुखर हैं। इस बार टक्कर कांटे की रहने वाली है।
हरिद्वार : भी रोचक होगा मुकाबला
भाजपा ने सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को एक बार फिर टिकट दिया है। निशंक का लंबा सियासी अनुभव और कुशल रणनीतिकार होना उनका मजबूत पक्ष है। कांग्रेस ने हरीश रावत के नैनीताल का उम्मीदवार बनाने के बाद अम्बरीष कुमार को निशंक के मुकाबले में यहां उतारा है। राज्य गठन से पहले अम्बरीष ने विधानसभा का एक चुनाव जीता है। इसके बाद हर विधानसभा चुनाव में अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ने के बावजूद उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वहीं निशंक के सामने इस बार इस सीट से दावेदार रहे अन्य नेताओं को साधने की भी चुनौती रहेगी। वहीं दूसरी ओर हरिद्वार सीट पर अल्पसंख्यक और दलित समीकरण बेहद अहम हैं। उत्तराखंड गठन के बाद से इस सीट पर आज तक कोई सांसद इस सीट से लगातार दोबारा नहीं चुना गया, निशंक के सामने यह मिथक भी तोड़ने की चुनौती रहेगी।