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आरटीओ ने भ्रष्टाचार रोकने को लेकर उठाए गए कई कदम, अब कोई काम है तो खुद ही आना होगा…

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गाड़ियाें के ट्रांसफर, परमिट कागजात बनवाने में दलालोें के जरिये नहीं लिया जाएगा एक भी कागजात,आरटीओ में भ्रष्टाचार रोकने को लेकर उठाए गए कई कदम,अधिकारियोें, कर्मचारियोें के भोजनावकाश में भी किया गया बदलाव,अब एक घंटे के बजाए आधे घंटे का होगा भोजनावकाश।

गाड़ियों का नाम ट्रांसफर कराने, परमिट बनवाने या नवीनीकरण कराने, इंश्योरेंस कराने, लोन कटाने के साथ ही डुप्लीकेट ड्राइविंग लाइसेंस व अन्य कागजातों के लिए अब वाहन स्वामियों को स्वयं आरटीओ जाना होगा।अब कोई भी कागजात दलालों के जरिये नहीं जमा कराया जा सकेगा। पिछले दिनों विजिलेंस टीम के छापे में परिवहन विभाग के कर्मचारी व दो दलालों को दबोचे जाने के बाद कई नए आदेश जारी कर दिए गए हैं।

आरटीओ डीसी पठोई की ओर से जारी किए गए आदेश के मुताबिक अब कोई भी कागजात दलालों के माध्यम से नहीं लिया जाएगा। जब तक वाहन स्वामी स्वयं कागजात लेकर नहीं आएगा या उसके द्वारा अधिकृत कोई व्यक्ति नहीं मौजूद होगा, कोई भी कागजात नहीं तैयार किया जाएगा।

इतना ही नहीं आरटीओ की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि जो वाहन स्वामी आरटीओ कार्यालय में आने में सक्षम नहीं होगा, उसे एक प्रार्थना पत्र देना होगा जिसमें उसके हस्ताक्षर होंगे और उस कागजात को प्रस्तुत करने के बाद भी कोई प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

कर्मचारियों के भोजन अवकाश में भी बदलाव
आरटीओ में भ्रष्टाचार को रोकने व कार्यों में और अधिक पारदर्शिता लाने के मकसद से कर्मचारियों के भोजन अवकाश में भी बदलाव किया जा रहा है। आरटीओ ने बताया कि अब कर्मचारियों को एक घंटे के बजाय आधे घंटे का भोजन अवकाश मिलेगा। आधे पटलों पर तैनात कर्मचारियों को दो से ढाई बजे और आधे पटलों के कर्मचारियों को ढाई से तीन बजे तक भोजनावकाश की अनुमति होगी।

ज्ञात हो कि पिछले दिनों विजिलेंस टीम ने छापा मारकर परिवहन विभाग के एक कर्मचारी व दो दलालों को हिरासत में ले लिया था। परिवहन विभाग कर्मचारी व दलालों पर आरोप है कि उन्होंने वाहन स्वामी को कागजात मुहैया कराने की एवज में रिश्वत ली।

आरटीओ में है कर्मचारियों की कमी 

आरटीओ में कर्मचारियों की भारी कमी को देखते हुए नए सिरे से लिखा पढ़ी की जा रही है। आरटीओ पठोई ने बताया कि साल 2004 में आरटीओ में कार्मिकों का आवंटन किया गया था। उसके बाद से कर्मचारियों की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है, जबकि डेढ़ दशक में गाड़ियों की संख्या में 10 गुना की वृद्धि हो गई है।

ऐसे में कर्मचारियों की भारी कमी के चलते न सिर्फ  काम प्रभावित हो रहा है, वरन वाहन स्वामियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो कर्मचारियों की कमी को लेकर मुख्यालय को कई बार लिखा चुका है लेकिन अभी तक समस्या का कोई समाधान नहीं हो पाया है।