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उत्तराखंड: राज्य पक्षी मोनाल की प्रजाति पर संकट के बादल !

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उत्तराखंड में कई प्रकार की जैव विविधताएं विलुप्त होने के साथ ही संकटग्रस्त श्रेणी में शामिल हो रहीं हैं। बारहसिंगा, टाइगर, हाथी और भालू के साथ ही राज्य पक्षी मोनाल की प्रजाति पर भी संकट के बादल गहराने लगे हैं। हालांकि, एक खुशी की बात यह है कि अलग राज्य बनने के बाद जुलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वे में उत्तराखंड में 22 नए जीव-जंतुओं की प्रजातियां मिलीं हैं। राज्य में अब तक पक्षियों की 743 प्रजातियां हैं, जो देश की कुल पक्षी विविधता का 60 फीसदी हैं।

जैव विविधता के क्षेत्र में कार्य कर रहे गोविंद बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. प्रकाश फोंदणी का कहना है कि उत्तराखंड विज्ञान एवं तकनीकी परिषद के अनुसार राज्य की जैव विविधता में 1496 सूक्ष्म जीवों, 6598 पौधों की प्रजातियां, 2575 औषधीय और 2351 जंतुओं की प्रजातियां हैं। इनमें से पौधों की 35, औषधीय पौधों की 64 और जंतुओं की 101 प्रजातियां विलुप्त या संकटग्रस्त श्रेणी में शामिल हैं। उन्होंने बताया कि जुलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वे में कार्बेट और राजाजी नेशनल पार्कों के बीच स्थित वाणगंगा में कछुआ, उत्तरकाशी के हर्षिल में छिपकली, अल्मोड़ा के शीतलाखेत और चंपावत के बनबसा में कनखजूरा, निमेटोड्स, तितलियों की 22 नई प्रजाति, चमोली के नंदादेवी वायोस्फेयर रिजर्व में औषधीय पादपों की नई प्रजातियां खोजी गईं हैं।

राज्य की कुछ संकटग्रस्त जैव विविधता
स्तनधारी   –   पक्षी        –    सरीसृप     –     कीट           –         पादप/पौधे
भंराल      –   चीर फीजेंट –    रेट स्नेक    –   कैराविड वीटल   –     ब्रहम कमल
थार         –  लिमरगियर   –   कोबरा     –     बटरफ्लाई       –       थुनेर
भूरा भालू   –  मोनाल     –     वाइपर      –     इस्कीलेनीरिनथ   –        सतावर
बारहसिंगा   –  क्वेल      –    इंडियन मानीटर  –  क्लाइडेड एलो   –        कूट