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राजस्थान में देश की सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी 11 दिनों में 18,059 पक्षियों की मौत, कारण अभी स्पष्ट नहीं…

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राजस्थान में देश की सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी हुई है। आंकड़ों के मुताबिक 11 दिनों में 18,059 विदेशी पक्षियों की मौत हो चुकी है। लेकिन, पक्षियों की मौत का कारण अभी तक किसी को नहीं पता चला है। पक्षियों के नमूनों को जांच के लिए देश समेत चार राज्यों में भेजा गया है।

यह सभी शव जयपुर के पास 90 वर्ग किमी में फैली सांभर झील में मिले हैं। नमक के लिए मशहूर सांभर की यह झील खारे पानी की देश की सबसे बड़ी झील है। राजस्थान के पूर्व चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन आरएन मेहरोत्रा ने कहा कि देश में अभी तक कहीं भी इतनी बड़ी तादाद में विदेशी पक्षियों की मौत नहीं हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार मरने वाले पक्षियों का आंकड़ा 50 हजार तक पहुंच सकता है।

स्थिति इस खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है कि बीते तीन दिनों से जेसीबी से गड्ढा खोदकर पक्षियों को जमीन में दफनाया जा रहा है। वहीं, कई मर चुके पक्षी कीचड़ से सड़ने लगे है। माना जा रहा है कि इस वजह से दूसरे पक्षियों की सेहत भी बिगड़ सकती हैं।

पक्षियों की मौत के तीन बड़े कारण

पक्षियों के मौत के तीन बड़े कारण हैं- पहला, जो पक्षी मरे, वो दलदल में दब गए हैं और उनमें कीड़े लगना शुरू हो चुका है। जिन्हें दूसरे पक्षी खाकर मर रहे हैं। पक्षियों की मौत का कारण बर्ड फ्लू नहीं है।
दूसरा, यह घटना ‘हाइपर नकट्रेमिया’ यानी पानी में सोडियम की अत्यधिक मात्रा होने के कारण नशा होने से हुई। वन विभाग के पास एक्सपर्ट, लैब और संसाधन ही नहीं है।
तीसरा कारण यह है कि जहां घटना हुई है, झील के उस क्षेत्र में पानी काफी लंबे समय से नहीं आया था। नमक काफी गाढ़ा हो गया। इस बारिश में यहां पानी आया तो इससे नमक जहरीला बन गया।
सांभर झील में बेजुबां परिंदों की मौत को लेकर अफसर ऊपर सरकार तक रिपोर्ट सौंप रहे हैं कि अब स्थितियां कंट्रोल में हैं। मृत मिलने वाले परिंदों की संख्या गिनी-चुनी रह गई है। मंगलवार को मुख्यमंत्री की बैठक में भी यही बात बताई गई। इससे अलग सच्चाई यह है कि समय पर सिस्टम संभला ही नहीं। रेस्क्यू ऑपरेशन देरी से शुरू होने के चलते झील ने ही लाशों के ढेर को निगल लिया। अब जबकि सिस्टम झील तक पहुंचा है तो लहरों के साथ यह सच तटों पर उगल रहा है। झील के पानी तक रेस्क्यू टीम, स्थानीय लोग और परिंदों के हितैषियों के पांवों के जो निशा छूटे हैं, वहां लहरों के साथ मृत परिंदों के पंख, हड्डियां बहकर आई है और इनमें समा गई है। मानो बता रही हों कि ये देखिए हमारी मौत के सबूत। इसी कारण के चलते अब परिंदों की लाशों की संख्या भी कम आ रही है।