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प्राकृतिक तरीकों से भी कर सकते हैं अस्‍थमा का उपचार…

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अस्थमा (Asthma) एक ऐसी बीमारी है जिसमें आपकी सांस नली में रुकावट के चलते आपको सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है। सांस लेना जीवन जीने के लिए एक बहुत महत्त्वपूर्ण क्रिया है। अतः यदि इस क्रिया में रूकावट आ जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है। अस्‍थमा आमतौर प्रदूषण और कल-कारखानों से निकलने वाले धुएं, सर्दी, फ्लू, धूम्रपान, एलर्जी, अत्‍यधिक दवाओं के सेवन, शराब की अधिकता आदि कई वजहों से हो सकती है। हालांकि इन चीजों से बचाव कर अस्‍थमा होने से बचा जा सकता है।

स्वामी परमानंद प्राकृतिक चिकित्सालय के प्रमुख आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्‍टर मनोज बाजपाई बता रहे हैं अस्‍थमा का प्राकृतिक तरीकों से इलाज करने के तरीके।

विटामिन सी और डी

कुछ रिसर्च ने ऐसा बताया है कि विटामिन की कमी होने के कारण शरीर कमज़ोरी के लक्षण देता है। जैसे की खासी, ज़ुखाम, चेहरे पर दाने इत्यादि। इन्ही में से यदि पता लगाना हो की अस्थमा के लक्षण क्या हैं, तो उनमे बहुत ज़ोर की खांसी आना है जिसकी वजह से सांस तक रुक सकती है। विटामिन सी एंटी इन्फ्लैमटरी के गुण प्रदान करती है। बिना इस गुण के शरीर के किसी अंग में सूजन आ सकती है। ठीक यही सांस नली में भी होता है।

अदरक और लहसुन

अदरक और लहसुन खाने के कई फायदे हैं जैसे कि इनमे पाए जाने वाले एंटी बायोटिक और एंटी इन्फ्लामेट्री गुण। इनके कईं लाभ हैं यदि इन्हे सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए।अनेक प्रकार के अस्थमा के लिए अनेक प्रकार से इनके फायदे भी हैं। वैसे तो डॉ बाजपाई सात्विक भोजन का प्रचार करते हैं परन्तु अदरक और लहसुन को यदि औषधि कि तरह ले सकते हैं।

मुलेठी

मुलेठी एक बहुत ही असरदार जड़ी है जो गले की कई बिमारियों से निजात पाने में मदद करता है। आयुर्वेद के साथ साथ मुलेठी का चाइनीस चिकित्सा में भी ज़िक्र किया गया है।मुलेठी सांस नली को आराम देने में असरदार है।

हल्दी

भारत की कई पारम्परिक व्यंजनों में हल्दी का प्रयोग सदैव होता आया है। मॉडर्न साइंस यह मानती है कि हल्दी में पाए जाने वाला क्यूमिन के सेवन से ब्रोन्कियल अस्थमा में राहत मिलती है। रोज़ाना भोजन में एक चम्मच हल्दी मिलाने से कईं बिमारिओ से बचा जा सकता है। यहाँ तक कि कई आयुर्वेदिक दवाइयों में भी हल्दी का मूल रूप से इस्तेमाल किया जाता है। कुछ आयुर्वेदिक क्रियाएं जैसे कि पोटली मसाज, मड बाथ इत्यादि में भी हल्दी का प्रयोगकरा जाता है।

परहेज़ करके

जब भी किसी बीमारी का पता चलता है, तो डॉक्टर हमेशा दवाई के साथ कुछ परहेज़ भी बताता है। ठीक उसी प्रकार, कुछ परहेज़ आपको अस्थमा में भी करने चाहिए।

पैकेज फ़ूड आइटम

अधिकतर सभी पैकेज फ़ूड आइटम के अंदर एक प्रेज़रवेटिव पाया जाता है जिससे कि उसकी कुल ख़राब होने कि तिथि बढ़ा दी जाती है। इसके चलते कई दफा गले कि तकलीफेंबढ़ जाती हैं। इसीलिए अस्थमा पेशेंट्स को चिप्स, वेफर्स खाने से मना किया जाता है।

जंक फ़ूड

जितना नुकसानदायक पैकेज फ़ूड आइटम है, उतना ही नुक्सान आपको जंक फ़ूड यानि बर्गर, चाउमीन इत्यादि दे सकते हैं। सही प्रकार के व्यंजनों का इस्तेमाल न करना, एवं घटियातेल के इस्तेमाल से जान लेवा परिस्थितियां भी उत्पन्न हो सकती है। तो यह सब तो था कि हमें क्या क्या खाना चाहिए एवं किन चीज़ो का परहेज़ करना चाहिए। परन्तु यह देखा जाए कि किस प्रकार आयुर्वेद अस्थमा से निजात पाने में मदद करता है, तोवह भी बहुत सारे हैं।

पंचकर्मा

पंचकर्मा एक ऐसी आयुर्वेदिक प्रक्रिया है जिसमे कुल 5 तरीके के आयुर्वेदिक नियमों का पालन करते हैं। इन नियमों का पालन करने से शरीर के अंदर के जितने भी टॉक्सिन्स होते हैं, वह बहार निकलने का कार्य पूरा हो जाता है। जब व्यक्ति पूर्ण रूप से पंचकर्म कि प्रक्रिया खत्म कर लेता है, तब वह पहले से ज़्यादा स्वस्थ हो जाता है।

यह माना जाता है कि पंचकर्म से जो भी स्वाँस नली में रुकावट होती है, वह भी बहार आजाती है। और व्यक्ति पहले कि तरह अपने सभी कार्यों में भाग ले सकता है। इसी प्रकार और भी आयुर्वेदिक सेवाओं का लाभ ले कर आप भी अपना एवं अपने प्रियजनों का अस्थमा जड़ से खत्म करवा सकते हैं।