शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक आयोजित की गई। इसमें केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी सहित परिषद के अन्य सदस्य उपस्थित थे।वहीं उत्तराखण्ड़ की तरफ से मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी इस बैठक में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड में नमामि गंगे के अंतर्गत किए गए कार्यों के लिए प्रधानमंत्री और भारत सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे के तहत उत्तराखण्ड में प्राथमिकता के चिन्हित 15 नगरों के लिए स्वीकृत 19 योजनाओं में से 10 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं, 05 योजनाएं दिसम्बर 2019 तक, 02 योजनाएं फरवरी 2020 तक, 01 योजना जून 2020 तक व 01 योजना नवम्बर 2020 तक पूर्ण कर ली जाएंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरिद्वार में 2021 में होने वाले महाकुम्भ को देखते हुए नमामि गंगे परियोजना में चिन्हित कार्यों को 2020 में पूरा कर गंगा की निर्मलता और अविरलता सुनिश्चित की जाएगी।हरिद्वार में 72 घाटों की अत्याधुनिक उपकरणों से सफाई का काम किया जा रहा है।मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से आगामी कुम्भ में स्थाई व अस्थाई प्रकृति के कार्यों के लिए सहायता का भी अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा की सहायक नदियों पर स्थित प्रमुख नगरों में भी नमामि गंगे परियोजना में सीवेज प्रबंधन की योजनाओं की स्वीकृति प्रदान की जाए। हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों को पूर्णतः सीवर लाईन से आच्छादित करने के लिए भारत सरकार की अनुमति से जर्मन बैंक के.एफ.डब्ल्यू. से वित पोषण का अनुबंध हो चुका है।परंतु गंगा की मुख्य धारा के साथ-साथ सहायक नदियों पर स्थित धार्मिक व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण अन्य नगरों में सीवर लाईन बिछाया जाना जरूरी है। इसके लिए नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता की आवश्यकता है।साथ ही कहा कि ठोस अपशिष्ठ का निस्तारण भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए नमामि गंगे परियोजना से भी वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाए या स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत वायबिलिटी गैप फंडिंग के अनुपात को बढ़ाकर 90ः10 के अनुपात में वित्तीय सहायता दी जाए।