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मरने के बाद भी पांच लोगों को नई जिंदगी दे गया फौजी, 85 मिनट में ऐसे दिल्ली पहुंचाए उनके अंग

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जिन आंखों ने सालों तक देश की सरहद की निगहबानी की, उन आंखों से अब दो लोग दुनिया का दीदार करेंगे। ये आंखें उस पूर्व फौजी की हैं, जिसने शुक्रवार को दून में अंतिम सांस ली। उनके अंगों (किडनी, लीवर और दोनों आंखें) को सेना और पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर दून से दिल्ली पहुंचाया।

इसमें महज 35 मिनट में अंगों को मिलिट्री अस्पताल से जौलीग्रांट एयरपोर्ट तक पहुंचाया। लगभग 85 मिनट में इन अंगों को राष्ट्रीय राइफल (आरआर) अस्पताल दिल्ली पहुंचा कर जरूरतमंद व्यक्तियों में प्रत्यारोपित कर दिया गया।

शुक्रवार को मिलिट्री अस्पताल में एक पूर्व फौजी को ब्रेन डेड घोषित किया गया था। उन्होंने मृत्यु पूर्व अपने अंगों को दान करने की घोषणा की हुई थी। उनकी मृत्यु की सूचना पर आर्मी हॉस्पिटल दिल्ली से रिसर्च व रेफरेल विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम वायुसेना के विशेष विमान से दून पहुंची।

सेना, स्थानीय पुलिस और यातायात पुलिस की मदद से मिलिट्री हॉस्पिटल से जौलीग्रांट एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। जिसमें टीम को सुबह 11.30 बजे से 35 मिनट में जौलीग्रांट एयरपोर्ट तक पहुंचाया गया।

वहां से विशेषज्ञों की टीम पूर्व फौजी की किडनी, लीवर और दोनों आंखें लेकर वायुसेना के विमान से तत्काल दिल्ली स्थित आर्मी हॉस्पिटल पहुंची। वहां पांच मरीजों को यह अंग ट्रांसप्लांट कर दिए गए। इस पूरी प्रक्रिया में महज 85 मिनट ही लगे।

इसे विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम के साथ ही सेना और पुलिस की बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। खास बात यह है कि इस पूरी प्रक्रिया में थलसेना, वायुसेना, पुलिस और उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग के बीच बेहतरीन तालमेल नजर आया। अंग ले जाने वाले वाहन को यातायात निरीक्षक राजीव रावत ने स्कॉर्ट किया था। इस अभियान के सफल होने के बाद एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने सेना और पुलिस को बधाई दी है।

यह होता है ग्रीन कॉरिडोर 
ग्रीन कॉरिडोर शब्द का चिकित्सा विज्ञान में तब इस्तेमाल किया जाता है जबकि आपात स्थिति में किसी मरीज को जरूरी चिकित्सा की आवश्यकता हो। ग्रीन कॉरिडोर की आवश्यकता तब पड़ती है, जब अंग प्रत्यारोपण या किसी दिल या लीवर जैसी गंभीर परिस्थिति के लिए मरीज या अंग जिसका प्रत्यारोपण किया जाना है, उसको एक से दूसरे स्थान तक लेकर जाने के लिए कम से कम समय की आवश्यकता होती है।

ग्रीन कॉरिडोर अस्पताल के कार्मिकों और पुलिस के आपसी सहयोग से अस्थायी रूप से तैयार किया जाना वाला एक रूट होता है, जिसमें कुछ देर के लिए यातायात पुलिस के सहयोग से निर्धारित मार्ग पर यातायात रोक दिया जाता है, ताकि एंबुलेंस को एक से दूसरी जगह जाने के लिए कम से कम समय लगे।

ऐसे में एंबुलेंस का ड्राइवर काफी अनुभवी और प्रशिक्षित होता है, जो भीड़भाड़ वाले स्थान में भी गाड़ी चलाने के दौरान सतर्क होते हैं।  बता दें कि करीब पांच माह पूर्व भी इसी तरह ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अंगों को सफलतापूर्वक दून से दिल्ली पहुुंचाया गया था।

कहां, कितना वक्त लगा  
मिलिट्री अस्पताल से जौलीग्रांट तक – 35 मिनट
जौलीग्रांट से दिल्ली तक – 40 मिनट
दिल्ली से आरआर अस्पताल – 10 मिनट

ये रहा ग्रीन कॉरिडोर का रूट 
मिलिट्री हॉस्पिटल, दिलाराम चौक, सर्वे चौक छह नंबर पुलिया, महाराणा प्रताप चौक, थानो रोड, होते हुए जौलीग्रांट एयरपोर्ट तक।