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लोकसभ चुनाव: उत्तराखंड में क्लीन स्वीप की हैट्रिक पर नजर

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देहरादून: उत्तराखंड में लोकसभा चुनावों के लिए मैदान सज चुका है। प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटों के लिए सभी प्रमुख दलों ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। अभी तक मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस में ही नजर आ रहा है। जिस तरह से पिछले दो लोकसभा चुनावों में प्रदेश के मतदाताओं का रुख रहा, उसे देखते हुए एक बार फिर सबकी नजरें पांचों सीटों पर क्लीन स्वीप की हैट्रिक पर टिक गई हैं। दरअसल, इससे पहले हुए दो लोकसभा चुनावों में, यानी वर्ष 2009 में प्रदेश की पांचों सीटों पर कांग्रेस तो 2014 में भाजपा ने जीत का परचम फहराया था।

उत्तराखंड के वर्ष 2000 में वजूद में आने के बाद ये चौथे लोकसभा चुनाव हैं। देखा जाए तो अविभाजित उत्तर प्रदेश में भी उत्तराखंड क्षेत्र में पांच लोकसभा सीटें अस्तित्व में थीं। भले ही इनके नाम अलग थे। मौजूदा पांचों सीटें यानी हरिद्वार संसदीय सीट, टिहरी गढ़वाल संसदीय सीट, पौड़ी गढ़वाल संसदीय सीट, अल्मोड़ा संसदीय सीट और नैनीताल संसदीय सीट 1977 के बाद अस्तित्व में आई हैं।

बात पहले लोकसभा चुनावों से करें तो अधिकांशतया एक ही पार्टी ने पांचों सीटों पर पर परचम फहराया है। अभी तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में नौ मौके ऐसे आए हैं जब किसी एक दल के पाले में पांचों सीटें आई हैं। प्रदेश की जनता द्वारा एकतरफा जनादेश देने की शुरुआत देश के दूसरे आमचुनाव से हुई। वर्ष 1957 में हुए दूसरे आमचुनावों में पांचों सीटें कांग्रेस के खाते में गई। इसके बाद 1962 के तीसरे और 1971 में हुए पांचवें लोकसभा चुनावों में यहां की पांचों सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया।

आपातकाल के बाद 1977 में छठवीं लोकसभा के चुनावों में बदलाव की लहर चली और केंद्र में सत्ता परिवर्तन हुआ। उत्तराखंड की जनता ने भी यहां कांग्रेस को छोड़ कर पांचों सीटें लोकदल की झोली में डाल दी। 1984 के चुनाव इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए थे। इन चुनावों में सहानुभूति लहर पर सवार कांग्रेस ने फिर से सभी पांचों सीटें अपने नाम की। इसके बाद 1991 के चुनावों में रामलहर पर सवार भाजपा ने उत्तराखंड में एकतरफा जीत हासिल की। 1998 में भी प्रदेश की जनता ने भाजपा प्रत्याशियों को अपना आशीर्वाद दिया।

राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में वर्ष 2004 में हुए हुए पहले लोकसभा चुनावों में मिश्रित जनादेश आया मगर 2009 में फिर से जनता ने कांग्रेसी प्रत्याशियों के पक्ष में जनादेश सुनाया। वर्ष 2014 के चुनावों में मोदी लहर पर सवार भाजपा ने सभी सीटों पर क्लीन स्वीप कर कांग्रेस से हिसाब चुकता किया। अब सबकी नजरें एक बार फिर उत्तराखंड द्वारा दिए जाने वाले जनादेश पर टिकी हैं कि क्या इस बार मतदाता फिर किसी एक दल को ही सभी पांचों सीटें जिता कर यहां क्लीन स्वीप की हैट्रिक लगवाएगी।

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