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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती।

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देश आज पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती मना रहा है। इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की। अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसा राजनेता रहे हैं, जो अपनी पार्टी के साथ ही सभी दलों के प्रिय नेता रहे हैं। भारत के राजनीतिक इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है। उनके भाषण के सभी कायल रहे हैं। जब वो सदन में बोलते थे तो हर कोई उन्हें सुनना चाहता था। स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में एक अध्यापक के घर मे पैदा हुए थे, धूल और धुंए की बस्ती में पले बढ़े और एक साधारण परिवार में पैदा हुए अटल बिहारी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बनेंगे ये शायद ही कभी उनके परिवार वालों ने सोचा होगा। अपनी प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता और लोकप्रियता के कारण अटल बिहारी वाजपेयी चार दशकों से भी ज़्यादा भारतीय संसद के सांसद रहे थे। वो सिर्फ राजनीति के ही महारथी नहीं थे बल्कि शब्दों की जादूगरी के भी उस्ताद थे, अपने काव्य हृदय की वजह से ही अटल जी देश के प्रधानमंत्री बने थे। जमीन से उठकर शिखर के आसमान तक पहुंचने के पीछे अटल जी को काफी संघर्ष करना पड़ा था।

31 मई 1996 को सदन में दिया था अमर भाषण-

जब अटल प्रधानमंत्री थे और उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था तो उन्होंने खुद सदन में पार्टी के संख्या बल कम होने की बात कही थी और राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंपा था। इस दौरान उन्होंने जो भाषण दिया वह आज भी राजनीति के सर्वश्रेष्ठ भाषणों में से एक गिना जाता है। लोग उनके बारे में क्या विचार रखते हैं उस बारे में उन्होंने संसद के पटल से कहा था, ‘कई बार यह सुनने में आता है कि वाजपेयी तो अच्छा लेकिन पार्टी खराब….अच्छा तो इस अच्छे बाजपेयी का आप क्या करने का इरादा रखते हैं?’

अपने इस्तीफे पर उन्होंने कहा था, ‘आज प्रधानमंत्री हूं, थोड़ी देर बाद नहीं रहूंगा, प्रधानमंत्री बनते समय कोई मेरा हृदय आनंद से उछलने लगा ऐसा नहीं हुआ, और ऐसा नहीं है कि सब कुछ छोड़छाड़ के जब चला जाऊंगा तो मुझे कोई दुख होगा। पार्टी के संघर्ष के बारे में उन्होंने कहा था, ‘हमारे प्रयासों के पीछे 40 सालों की साधना है, यह कोई आकस्मिक जनादेश नहीं है, कोई चमत्कार नहीं हुआ है, हमने मेहनत की है, हम लोगों के बीच गए हैं, हमने संघर्ष किया है, यह पार्टी 365 दिन चलने वाली पार्टी है। यह कोई चुनाव में कुकरमुत्ते की तरह खड़ी होने वाली पार्टी नहीं है।’ राजनीतिक पारदर्शिता के बारे में वो बोले थे, ‘राजनीति में जो कुछ हो पारदर्शी हो, दल अगर साथ आते हैं, तो कार्यक्रम के आधार पर आए हिस्सा बांट के आधार पर नहीं, बैंकों में लाखों रुपये जमा किए जाएं इसके लेकर नहीं।

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